नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन से निपटने के मामले में प्रगति करने वाले देशों की सूची में भारत दो पायदान नीचे खिसक गया है। हालांकि, प्रति व्यक्ति कम उत्सर्जन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को तेजी से अपनाने के कारण वह अब भी शीर्ष 10 में बना हुआ है।
यह जानकारी बुधवार को जारी ‘जर्मनवॉच’, ‘न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट’ और ‘क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल’ की एक रिपोर्ट से सामने आई है। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) 2025 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीति के मामले में दुनिया के शीर्ष उत्सर्जक देशों की प्रगति का आकलन किया गया है।
सीसीपीआई-2025 में यूरोपीय संघ (ईयू) सहित 63 देशों की जलवायु प्रगति का मूल्यांकन किया गया है, जो 90% वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। भारत को इस सूची में 10वें पायदान पर रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जलवायु नीति में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना नहीं है। उद्योगों के लिए ऊर्जा की बढ़ती मांग और आबादी में वृद्धि के कारण जलवायु कार्रवाई को लेकर विकासोन्मुख दृष्टिकोण जारी रहने या मजबूत होने की गुंजाइश है।
सीसीपीआई-2025 में शीर्ष तीन स्थान खाली रखे गए हैं, क्योंकि किसी भी देश ने सूची के सभी पैमानों पर इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया कि उसे कुल मिलाकर “बहुत उच्च” रेटिंग दी जा सके।