नई दिल्ली, 30 अक्टूबर 2023: चुनावी बॉन्डों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हो रहे सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण सवाल उठा है – क्या भारतीय नागरिकों को राजनीतिक दलों की फंडिंग के संबंध में जानने का अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में हो रहे मामले में, भारतीय सरकार द्वारा चुनावी बॉन्डों की प्रतिभागिता के खिलाफ उठाए गए यह तर्क है कि इससे नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है, और इसे संविधान के अंश III के तहत किसी अधिकार के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता है।
चुनावी बॉन्ड क्या होते हैं?
चुनावी बॉन्ड एक प्रकार की वित्तीय संविधानिक योजना है जिसमें चुनावी दानकर्ता चुनिंदा बैंकों से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। इन बॉन्डों के माध्यम से दानकर्ता अपनी राजनीतिक पसंद के लिए आयकर से छूट प्राप्त कर सकते हैं। इन बॉन्डों के मूल्य में दानकर्ता का नाम नहीं होता और इन्हें जारी होने की तारीख से 15 दिनों के लिए वैध होता है।
सरकार का कहना है कि चुनावी बॉन्ड नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हैं, और इससे न किसी अनुच्छेद के तहत जानकारी का अधिकार पैदा होता है।
चुनावी बॉन्ड योजना के समर्थक कहते हैं कि यह पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और राजनीतिक दलों के वित्तीय स्रोतों को सार्वजनिक बनाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अक्टूबर 31 को चुनावी बॉन्ड योजना के मामले की सुनवाई कर रही है, और इस मामले का फैसला आम चुनाव से पहले हो सकता है।
चुनावी बॉन्ड के मामले में सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण सवाल उठ रहा है – क्या नागरिकों को राजनीतिक दलों की फंडिंग के संबंध में जानने का अधिकार है? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में हमें देखना होगा कि कैसे यह सवाल जवाब पाता है.