बात करते हैं कि आखिर सरकार का इस बजट में फोकस क्या रहने वाला है। CareEdge Ratings की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है, और इसका संकेत है कि वित्तीय घाटा GDP का 4.5% तक सीमित किया जा सकता है। यह बड़ी बात है, क्योंकि देश की आर्थिक सेहत का एक बड़ा हिस्सा इस आंकड़े पर निर्भर करता है।
CareEdge Ratings के चीफ रेटिंग ऑफिसर, सचिन गुप्ता, ने इस पर काफी महत्वपूर्ण बातें कही हैं। उन्होंने बताया कि इस बार बजट में मुख्य जोर होगा उपभोग बढ़ाने, मैन्युफैक्चरिंग को और प्रतिस्पर्धी बनाने, कृषि में सुधार लाने और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने पर। आप सोच सकते हैं कि यह सब कैसे होगा? इसका मतलब है कि किसानों के कल्याण, कृषि अनुसंधान और विकास, और बिजली व परिवहन जैसे क्षेत्रों में बड़े सुधार देखने को मिल सकते हैं।
अब, अगर हम टैक्स कलेक्शन की बात करें, तो यह अनुमान है कि FY26 में कुल कर राजस्व 10.4% की दर से बढ़ेगा। लेकिन एक ट्विस्ट भी है। माना जा रहा है कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पर थोड़ी चुनौती आ सकती है, क्योंकि सरकार कुछ टैक्स रिलीफ देने की योजना बना सकती है। वहीं, कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन में सुधार की उम्मीद है क्योंकि आर्थिक सुधार जारी है।
GST कलेक्शन को लेकर खबर अच्छी है। यह 11% की दर से बढ़ सकता है। लेकिन एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन थोड़ा सुस्त रहने वाला है, क्योंकि सरकार ने घरेलू कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क कम कर दिया है। दूसरी ओर, कस्टम ड्यूटी से राजस्व बढ़ने की उम्मीद है, खासकर खाने के तेल और सोने पर हाल ही में लागू हुई ड्यूटी बदलावों के कारण।
अब आते हैं कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत व्यय पर। FY26 में यह 19.8% बढ़कर 11.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। सुनने में यह एक बड़ा आंकड़ा लगता है, लेकिन FY25 में पूंजीगत व्यय लक्ष्य से 1.5 लाख करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान है।
खेतीबाड़ी के क्षेत्र में, उम्मीद है कि सरकार उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये आवंटित करेगी। इसके साथ ही, जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने और आयातित कच्चे माल पर ड्यूटी कम करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बात करें, तो यह क्षेत्र भी सरकार से काफी उम्मीद लगाए बैठा है। EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने और बैटरियों पर समान GST दरें लागू करने जैसे प्रोत्साहन की संभावना है।
अब बैंकिंग और NBFCs पर नजर डालें। छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) को कर्ज देने और किफायती आवासीय फाइनेंस को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। वहीं, बीमा क्षेत्र को पूंजी निवेश और पॉलिसियों पर GST में कटौती की उम्मीद है।
होटल और पर्यटन उद्योग की मांग है कि इसे इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिले। इसके अलावा, स्थायी पर्यटन को प्रोत्साहन देने और होटल कैटेगरी पर टैक्स को सरल बनाने की बात भी हो रही है।
और आखिर में दवाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र की चर्चा करते हैं। फार्मा कंपनियां चाहती हैं कि स्वास्थ्य बजट को GDP का 2.5% से 3% तक बढ़ाया जाए। साथ ही, जीवन रक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी कम करने और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स कटौती की उम्मीद भी है।
तो यह था इस बजट का संभावित खाका। क्या यह बजट हमारे देश को आर्थिक स्थिरता और विकास की दिशा में आगे ले जाएगा? यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना जरूर है कि सरकार के पास इस बार आर्थिक सुधार और विकास के बड़े अवसर हैं। अब देखना होगा कि इन अवसरों का फायदा कैसे उठाया जाता है।