नई दिल्ली: पंजाब में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे दिल्ली में वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। पंजाब में इस साल अब तक पराली जलाने के 3293 मामले दर्ज हुए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले कम है, लेकिन फिर भी चिंता का विषय है।
पराली जलाने का मुख्य कारण यह है कि धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं के लिए समय बहुत कम होता है। इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुआई के लिए फसल के अवशेषों को जल्दी से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।
पराली जलाने से निकलने वाले धुएं में PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। ये प्रदूषक सांस की बीमारियों, हृदय रोगों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने इस साल पराली जलाने को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन अभी भी यह एक बड़ी समस्या है। पंजाब और हरियाणा सरकार को भी इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
किसानों को पराली जलाने के बजाय अन्य तरीकों से प्रबंधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। किसानों को पराली को खाद या बिजली में परिवर्तित करने के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए। सरकार को पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
इस समस्या से निपटने के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना चाहिए। तभी हम पराली जलाने और वायु प्रदूषण की समस्या से छुटकारा पा सकेंगे।