भारतीय टेस्ट क्रिकेट की चुनौतीपूर्ण यात्रा: कोहली, रोहित और टीम के प्रदर्शन पर विशेषज्ञों की राय

भारत के लिए 2024-25 का टेस्ट सीजन मुश्किलों से भरा रहा। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया से 1-3 की हार ने न केवल भारतीय बल्लेबाजों, बल्कि टीम प्रबंधन और कप्तान रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली के प्रदर्शन पर भी सवाल खड़े किए। आइए इस पूरी स्थिति पर विशेषज्ञों की राय और संभावित समाधान को समझें।

रोहित और कोहली का फॉर्म: गिरावट या बदलाव का समय?

रोहित शर्मा और विराट कोहली के प्रदर्शन में गिरावट ने भारतीय टीम को बैकफुट पर ला दिया। रोहित ने पांच पारियों में केवल 31 रन बनाए, औसत 6.2 का रहा। वहीं, कोहली ने नौ पारियों में 190 रन बनाए, जिसमें उनकी शतकीय पारी पर्थ टेस्ट में आई। लेकिन इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों, खासकर स्कॉट बोलैंड ने उन्हें बाहर जाती गेंदों पर बार-बार फंसाया।

पूर्व कोच रवि शास्त्री ने कोहली की स्थिति की तुलना रिकी पोंटिंग और सचिन तेंदुलकर के करियर के अंतिम वर्षों से की। शास्त्री ने कहा, “विराट अभी भी टीम को बहुत कुछ दे सकते हैं, लेकिन उन्हें खुद निर्णय लेना होगा कि वे कितना और खेलना चाहते हैं।” उन्होंने सुझाव दिया कि कोहली और रोहित को घरेलू क्रिकेट खेलकर फॉर्म और आत्मविश्वास दोनों को वापस पाने की कोशिश करनी चाहिए।


टीम के युवा खिलाड़ी: कोहली और रोहित का मार्गदर्शन

रवि शास्त्री ने कोहली के टीम में सीनियर रोल की सराहना की और उम्मीद जताई कि वे यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, ऋषभ पंत और नितीश रेड्डी जैसे उभरते खिलाड़ियों को बेहतर बना सकते हैं। शास्त्री ने कहा, “कोहली का अनुभव युवा खिलाड़ियों के लिए अमूल्य है। अगर वे ड्रेसिंग रूम में अपना ज्ञान साझा करते हैं, तो टीम को बड़ी मदद मिलेगी।”


संजय बांगर का विश्लेषण: टीम चयन में भ्रम

पूर्व कोच संजय बांगर ने नितीश रेड्डी और वॉशिंगटन सुंदर या रविंद्र जडेजा की संयोजन में बदलाव को लेकर टीम प्रबंधन की आलोचना की। बांगर के अनुसार, “नितीश का प्रदर्शन सराहनीय था, लेकिन इसने टीम में चयन को लेकर भ्रम पैदा किया। प्रबंधन को पिच और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अधिक सक्रिय होना चाहिए था।”

नितीश रेड्डी ने पांच टेस्ट मैचों में 298 रन बनाए और पांच विकेट भी लिए। वहीं, रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर का प्रदर्शन औसत दर्जे का रहा।


पोंटिंग का सुझाव: कोहली को नैचुरल गेम खेलने की जरूरत

रिकी पोंटिंग ने कोहली की तकनीकी समस्याओं पर बात करते हुए कहा, “कोहली की समस्या यह है कि वह अब बल्लेबाजी करते समय ज्यादा सोचने लगे हैं। जब वे अपने सर्वश्रेष्ठ दौर में थे, तो बस रन बनाने के बारे में सोचते थे।” पोंटिंग ने उन्हें नैचुरल अंदाज में खेलने का सुझाव दिया।


ऑस्ट्रेलिया की पहली ट्रॉफी जीत और भारत का भविष्य

पर्थ में ऐतिहासिक जीत के बाद भी भारत श्रृंखला को बनाए नहीं रख पाया और 1-3 से हार गया। यह एक दशक में ऑस्ट्रेलिया की पहली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीत थी। सिडनी टेस्ट में भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी, लेकिन एक बार फिर खराब प्रदर्शन देखने को मिला।

आने वाले समय में भारतीय टीम के लिए अगली बड़ी चुनौती चैंपियंस ट्रॉफी है, जो सात साल बाद वापस आ रही है। यह भारत के लिए एक और आईसीसी खिताब जीतने का मौका होगा।

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