
केंद्र सरकार पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाने के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) को बढ़ावा दे रही है। डीएलसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पेंशनभोगियों को यह साबित करने की आवश्यकता होती है कि वे जीवित हैं।
पहले, डीएलसी जमा करने के लिए बायोमेट्रिक उपकरणों का उपयोग किया जाता था। इन उपकरणों में अंगुलियों के निशान, आँख की पुतली, या चेहरे की विशेषताओं को स्कैन करने की क्षमता होती है। हालांकि, इन उपकरणों तक पहुंचना और उनका उपयोग करना सभी पेंशनभोगियों के लिए आसान नहीं था। उदाहरण के लिए, बुजुर्ग, दिव्यांग, या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इन उपकरणों तक पहुंचने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
इस समस्या को हल करने के लिए, सरकार ने चेहरा सत्यापन तकनीक का उपयोग करके डीएलसी जमा करने की सुविधा शुरू की है। इस तकनीक में, पेंशनभोगियों को बस अपने स्मार्टफोन के कैमरे में अपना चेहरा दिखाना होता है। चेहरे की विशेषताओं की तुलना आधार डेटाबेस से की जाती है, और यदि मिलान होता है, तो डीएलसी जारी किया जाता है।
इस नई सुविधा ने डीएलसी जमा करने को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बना दिया है। अब, सभी पेंशनभोगियों, चाहे उनकी उम्र, शारीरिक स्थिति, या स्थान कुछ भी हो, वे आसानी से डीएलसी जमा कर सकते हैं।
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग एक राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा है ताकि पेंशनभोगियों को डीएलसी जमा करने के बारे में जागरूक किया जा सके। इस अभियान में बैंकों, पेंशनभोगी संघों, और सरकार के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
अभियान के तहत, पेंशनभोगियों को डीएलसी जमा करने के लिए कई तरीके प्रदान किए जा रहे हैं। वे अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके डीएलसी जमा कर सकते हैं, या वे किसी भी बैंक शाखा में जाकर डीएलसी जमा कर सकते हैं।
केंद्र सरकार का मानना है कि डीएलसी जमा करने की नई सुविधा पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ है। यह उन्हें अपनी पेंशन को सुचारू रूप से प्राप्त करने में मदद करेगा, और यह उन्हें जीवन को अधिक आरामदायक बनाने में मदद करेगा।