नई दिल्ली: एक नए अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, बढ़ते प्रदूषण स्तर उत्तर भारत के मौसम को और अधिक धुंध-प्रवण बना रहे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण “तापमान व्युत्क्रम” को बढ़ा रहा है, एक ऐसी घटना जहां ठंडी हवा जमीन के पास फंस जाती है और गर्म हवा ऊपर उठ जाती है। इससे प्रदूषक तत्वों को फैलने से रोका जाता है, जिससे धुंध और खराब वायु गुणवत्ता होती है।
यह अध्ययन वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था और इसे ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसमें 1980 से 2016 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि इस अवधि के दौरान कम दृश्यता वाले दिनों में नौ गुना वृद्धि हुई है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रवृत्ति चिंताजनक है क्योंकि इससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं और आर्थिक गतिविधियां बाधित हो सकती हैं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और खराब हो सकती है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक, शोध वैज्ञानिक रॉबर्ट क्लेन ने कहा, “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि वायु प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है, बल्कि यह क्षेत्रीय जलवायु को भी प्रभावित कर रहा है।”
यह अध्ययन उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की गंभीरता को उजागर करता है और इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देता है।