
8 जनवरी, 2025 का दिन भारतीय सिनेमा और साहित्य के इतिहास में एक भावनात्मक अध्याय जोड़ गया। प्रसिद्ध कवि, पत्रकार, फिल्म निर्माता, और पूर्व सांसद प्रितिश नंदी का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कार्डियक अरेस्ट से हुई उनकी मृत्यु ने फिल्म और मीडिया जगत को गहरे शोक में डाल दिया है।
सिनेमा और पत्रकारिता में अनूठा योगदान
बिहार के भागलपुर में जन्मे प्रितिश नंदी ने पत्रकारिता, साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के संपादक के रूप में भारतीय पत्रकारिता में एक नई दिशा दी। बाद में, उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस प्रितिश नंदी कम्युनिकेशन्स के माध्यम से बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दीं। इनमें सुर – द मेलोडी ऑफ लाइफ (2002), कांटे (2002), हजारों ख्वाहिशें ऐसी (2003), और चमेली (2004) जैसी फिल्मों के साथ-साथ स्ट्रीमिंग युग में फोर मोर शॉट्स प्लीज! और मॉडर्न लव: मुंबई जैसे लोकप्रिय शो शामिल हैं।
1977 में उन्हें भारतीय साहित्य में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, 2008 में उन्हें करमवीर पुरस्कार से भी नवाजा गया।
बॉलीवुड ने दी श्रद्धांजलि
उनके निधन के बाद बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। अभिनेत्री करीना कपूर, जिन्होंने चमेली में उनके साथ काम किया था, ने इंस्टाग्राम पर फिल्म की शूटिंग के दौरान की तस्वीरें साझा कीं। करीना ने लिखा, “यह एक ऐसा अनुभव था जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती। उनकी दृष्टि और मार्गदर्शन अद्वितीय थे।”
फिल्म निर्माता सुधीर मिश्रा, जिन्होंने हजारों ख्वाहिशें ऐसी बनाई थी, ने ट्विटर पर लिखा, “प्रितिश दा ने मेरी जिंदगी बदल दी। उनके बिना यह फिल्म संभव नहीं थी। उनकी कमी हमेशा खलेगी।”
अनुपम खेर ने अपनी पुरानी यादें साझा करते हुए कहा, “प्रितिश नंदी मेरे शुरुआती संघर्षों में मेरी ताकत थे। उन्होंने मुझे फिल्मफेयर और इलस्ट्रेटेड वीकली के कवर पर जगह देकर चौंका दिया था। वह हमेशा ‘यारों का यार’ रहे। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।”
संजय दत्त, जिन्होंने कांटे और शब्द जैसी फिल्मों में उनके साथ काम किया, ने उन्हें “सच्चा रचनात्मक प्रतिभाशाली” बताते हुए श्रद्धांजलि दी।
साहस और विचारों की स्वतंत्रता का प्रतीक
प्रितिश नंदी न केवल एक पत्रकार और फिल्म निर्माता थे, बल्कि वे विचारों की स्वतंत्रता और साहस का प्रतीक थे। उनके करीबी दोस्त और अभिनेता अनिल कपूर ने उन्हें “निर्भीक संपादक” और “ईमानदारी का प्रतीक” बताते हुए लिखा, “वह मेरे सबसे प्रिय मित्रों में से एक थे। उनकी विरासत हमेशा प्रेरित करेगी।”
साहित्य, पत्रकारिता और सिनेमा में अपने अनगिनत योगदानों के साथ, प्रितिश नंदी ने एक ऐसा शून्य छोड़ा है जिसे भर पाना मुश्किल होगा। उनके विचार, उनकी कला और उनकी दृष्टि ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है।
एक बहुआयामी व्यक्तित्व
नंदी केवल एक कवि या पत्रकार नहीं थे। वह एक कलाकार, विचारक, और साहसी इनसान थे, जिन्होंने समाज के स्थापित मानदंडों को चुनौती दी। उन्होंने दूरदर्शन पर द प्रितिश नंदी शो जैसे कार्यक्रमों के जरिए अपने विचारों को लाखों लोगों तक पहुंचाया।
उनकी मृत्यु पर उद्यमी और उनके मित्र सुहेल सेठ ने कहा, “हम अक्सर ट्विटर पर मजेदार बहसें करते थे। अब वह हंसी और गहराई यादों में ही बची है।”
प्रितिश नंदी का जीवन एक ऐसा अध्याय है, जिसमें कला, साहित्य, और सिनेमा के सबसे खूबसूरत पहलू जुड़े हुए थे। उनकी रचनाएं और उनके विचार हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे।