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रामायण: ए लीजेंड ऑफ प्रिंस राम” – एक एनीमेशन जो पीढ़ियों को जोड़ता है

मैं आज भी vividly याद कर सकता हूं जब मैंने पहली बार “रामायण: ए लीजेंड ऑफ प्रिंस राम” देखा था। 2000 के शुरुआती दौर में, जब टीवी पर इसे प्रसारित किया गया था, मैं और मेरे जैसे कई भारतीय बच्चे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को एक नए और अनूठे रूप में देख रहे थे। जापानी एनीमेशन और भारतीय पौराणिक कथाओं का यह संगम किसी चमत्कार से कम नहीं था। और अब, यह फिल्म 24 जनवरी को भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है, तो मैं बस यही सोचता हूं – यह अनुभव नई पीढ़ी के लिए कितना खास होगा।

इस फिल्म का निर्माण 1993 में हुआ था, लेकिन इसे कभी भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज़ नहीं किया गया। युगो साको, राम मोहन और कोइची सासाकी जैसे निर्देशक इसे लेकर आए, और भारतीय पौराणिक कथा को जापानी एनीमे की कला के जरिए जीवंत किया। यह फिल्म केवल एक एनीमेशन नहीं है, बल्कि यह दो संस्कृतियों – भारत और जापान – के बीच की एक खूबसूरत कड़ी है।

अरुण गोविल की आवाज़ में भगवान राम, अमरीश पुरी के दमदार स्वर में रावण, और शत्रुघ्न सिन्हा की आवाज़ में कहानी की गूंज… ये सब यादें आज भी ताजा हैं। अब, फिल्म को 4K फॉर्मेट में और नई भाषाओं – हिंदी, तमिल और तेलुगु – में लाया जा रहा है। इससे नई पीढ़ी इस महान गाथा से जुड़ सकेगी।

यह फिल्म न केवल कहानी सुनाने में, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अद्वितीय है। 1993 में, जब एनीमेशन तकनीक अभी विकासशील चरण में थी, यह फिल्म एक मील का पत्थर साबित हुई। इसके दृश्यों की गहराई और पात्रों की भावनात्मक अभिव्यक्ति आज भी कई आधुनिक एनीमेशन फिल्मों को टक्कर दे सकती है।

मुझे यह सोचकर खुशी होती है कि यह फिल्म अब नए दर्शकों तक पहुंचेगी। यह न केवल रामायण की कहानी को दोबारा देखने का मौका देती है, बल्कि एक नई दृष्टि से इसे महसूस करने का अवसर भी।

फिल्म को वि विजयेंद्र प्रसाद जैसे प्रख्यात पटकथा लेखक ने नई रचनात्मक दृष्टि दी है। उन्होंने “बाहुबली” और “आरआरआर” जैसी कहानियों को आकार दिया है, तो जाहिर है कि “रामायण: ए लीजेंड ऑफ प्रिंस राम” को भी उनकी सोच ने समृद्ध किया होगा।