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मणिपुर में फिर से AFSPA की छाया!

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मणिपुर में शांति की उम्मीदों पर एक बार फिर से पानी फिर गया है। जातीय हिंसा की आग में जल रहे इस राज्य में केंद्र सरकार ने छह पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा(AFSPA) का काला साया फिर से फैला दिया है। जिन इलाकों में सेना को यह विशेष अधिकार मिले हैं, उनमें हिंसाग्रस्त जिरीबाम भी शामिल है।

मणिपुर में फिर से AFSPA की छाया!

गृह मंत्रालय का कहना है कि राज्य में हालात अभी भी नाज़ुक हैं और अशांति का माहौल बना हुआ है, इसलिए यह कदम उठाना पड़ा है। याद रहे कि कुछ ही दिन पहले, मणिपुर सरकार ने 19 थानों को छोड़कर पूरे राज्य से अफस्पा हटा लिया था, लेकिन अब केंद्र के इस नए आदेश ने उनमें से छह थानों में सेना की शक्तियों को फिर से बहाल कर दिया है।

कौन से हैं ये थाने?

इंफाल पश्चिम के सेकमाई और लमसांग, इंफाल पूर्वी का लमलाई, जिरीबाम जिले का जिरीबाम थाना, कांगपोकपी का लीमाखोंग और बिष्णुपुर का मोइरांग थाना, ये वो छह इलाके हैं जहाँ फिर से अफस्पा लागू हो गया है।

AFSPA अफस्पा क्या है?

अफस्पा यानी सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, सेना को अशांत क्षेत्रों में विशेष अधिकार देता है। इसके तहत, सेना बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है, घरों की तलाशी ले सकती है और ज़रूरत पड़ने पर गोली भी चला सकती है।

इरोम शर्मिला की याद दिलाता फैसला

अफस्पा का विरोध हमेशा से होता रहा है। मणिपुर की इरोम शर्मिला ने तो इस कानून के खिलाफ 16 साल तक भूख हड़ताल की थी। ऐसे में केंद्र का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। क्या यह वाकई शांति बहाल करने का रास्ता है? या फिर यह हिंसा और अत्याचार का नया अध्याय शुरू करेगा?

यह भी याद रखें

  • जिरीबाम में हाल ही में उग्रवादियों ने पुलिस थाने पर हमला किया था, जिसमें 11 उग्रवादी मारे गए थे।
  • उग्रवादियों ने कुछ नागरिकों का अपहरण भी किया था।

मणिपुर के घाव अभी भरे नहीं हैं। ऐसे में अफस्पा जैसे कानून और कितनी तकलीफ़ देगा, यह देखना बाकी है।