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भारतीय रेलवे के विस्तार के लिए इस्पात की आवश्यकता: पीयूष गोयल

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"उत्पादकों के लिए गुणवत्ता और स्वीकृति का महत्व: श्री पीयूष गोयल के विचार"

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे में व्यापक निवेश की ओर बढ़ रहा है। आज नई दिल्ली में आयोजित ‘आईएसए स्टील कॉन्क्लेव 2023’ के चौथे संस्करण को संबोधित करते हुए उन्होंने यह स्वीकार किया कि वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 300 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन करने की आकांक्षा के साथ, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस्पात बहुत महत्वपूर्ण है।

कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) से संबंधित चिंताओं के बारे में श्री गोयल ने आश्वासन दिया कि भारत सरकार ने इस मुद्दे को यूरोपीय संघ और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ उठाया है। उन्होंने भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों के लिए उचित व्यवहार के महत्व पर जोर देते हुए इस्पात उद्योग को हानि पहुंचाने वाले अनुचित करों या लेवी का विरोध करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि भी की।

श्री गोयल ने विकसित देशों में इस्पात उद्योग के लिए बेहतर मुक्त व्यापार समझौते तक पहुंच सुनिश्चित करने के बारे में किये गए प्रयासों पर प्रकाश डाला तथा व्यापार समझौतों में बौद्धिक संपदा और मूल्यवर्धन के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने भारत में एमएसएमई क्षेत्र के लिए उद्योग के समर्थन को भी मान्यता देते हुए इस क्षेत्र के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता करने के बारे में आग्रह किया।

निर्माण क्षेत्र में इस्पात उद्योग की भूमिका, भारत की प्रगति और देश को आत्मनिर्भर बनने में भी इसके महत्व पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। श्री गोयल ने गुणवत्ता मानकों के बारे उद्योग की प्रतिबद्धता और उपभोक्ताओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात उत्पाद विकसित करने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का विस्तार किये जाने की भी उन्होंने सराहना की। इसके अलावा, उन्होंने इस्पात उद्योग को प्रभावित करने वाले सुरक्षा शुल्क और अन्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों से संबंधित चिंताओं को दूर करने का वायदा किया।

श्री गोयल ने कहा कि वर्तमान में देश के इस्पात उद्योग में लगभग दो मिलियन लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस्पात उद्योग आत्मनिर्भरता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है क्योंकि भारत इस क्षेत्र की बढ़ती मांगों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। हाल के वर्षों में इस उद्योग की प्रगति और प्रदर्शन उल्लेखनीय रहे हैं। उन्हें क्षमता विस्तार और टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं के लिए उनकी योजनाओं के संबंध में प्रमुख इस्पात उत्पादकों से फीडबैक भी प्राप्त हुए हैं।

श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारत जैसे-जैसे एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर आगे बढ़ रहा है, उसी तरह इस्पात उद्योग देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने में भी लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इस्पात उद्योग के महत्व की मान्यता विशेष रूप से अच्छी तरह से स्थापित हो रही है, क्योंकि भारत बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए तैयार है। भारत की प्रति व्यक्ति इस्पात खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है क्योंकि देश अपने अरबों नागरिकों के सपनों को पूरा करने की आकांक्षा रखता है।

श्री गोयल ने कहा कि भारत अपनी “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” थीम का समर्थन करते हुए इस्पात के शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक के रूप में परिवर्तन करने की इच्छा रखता है। विशेष इस्पात के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) इस दिशा में उठाए गए कदमों में से एक है, जो उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात के विनिर्माण को बढ़ावा देती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत की स्थिति को मजबूत करती है। उन्होंने स्टील स्लैग रोड टेक्नोलॉजी जैसी अग्रणी पहल को स्मरण किया, जिसमें सड़क और राजमार्ग निर्माण में अपशिष्ट स्ट्रीम स्लैग के कुशल उपयोग पर जोर दिया गया था। यह प्रथा चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अनुरूप है।

श्री गोयल ने भारतीय इस्पात उद्योग की जीवंतता की प्रशंसा करते हुए इसे देश के विकास का आधार बताया। उन्होंने जमशेदपुर के पहले इस्पात शहर का स्मरण करते हुए इस उद्योग के शुरुआत से लेकर अब तक हुई विकास यात्रा पर भी विचार किया। इस्पात उद्योग के साथ व्यक्तिगत संबंधों को साझा करते हुए, श्री गोयल ने गर्व की भावना व्यक्त की कि भारत अब जापान को पछाड़कर विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 और उद्योग में हुए अभी हाल के निवेश के साथ भारी मात्रा में लौह अयस्क संसाधनों और बढ़ती घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग के साथ, भारत 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए तैयार है।

इस कार्यक्रम में भारत की प्रगति और विकास में इस्पात उद्योग की बहुमुखी प्रतिभा की भूमिका को रेखांकित करते हुए ‘स्टील शेपिंग द सस्टेनेबल फ्यूचर’ विषय पर भी चर्चा की गई। श्री पीयूष गोयल ने एक अधिक टिकाऊ भविष्य के निर्माण में इस्पात की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इस विषय की सराहना की। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस्पात किस प्रकार निर्माण और विनिर्माण में एक आवश्यक सामग्री के रूप में, पारंपरिक, प्रदूषणकारी उद्योगों को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं के युग में, श्री गोयल ने जिम्मेदार निर्माण विधियों सहित टिकाऊ प्रथाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ये प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं।

श्री गोयल ने कहा कि इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता में भारत के नेतृत्व ने “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” विषय पर एक उपयुक्त पृष्ठभूमि प्रदान की है। उन्होंने टिकाऊ प्रथाओं पर आगे की चर्चाओं को प्रोत्साहित करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इस्पात किस प्रकार हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है और यह हमारे बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है।

श्री गोयल ने कोकिंग कोयले की उपलब्धता और लागत की चुनौती को स्वीकार किया और उद्योग को इस मुद्दे का समाधान करने के लिए वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस्पात उद्योग की स्थिरता और भविष्य के लिए हरित और कम कार्बन वाले इस्पात उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और विकास की बहुत आवश्यक है। उन्होंने हाल ही में प्रोत्साहित ऑटोमोबाइल स्क्रैपिंग नीति और ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को बढ़ावा देते हुए प्रदूषण और कच्चे तेल के आयात को कम करने की क्षमता का जिक्र करते हुए स्टील स्क्रैप के री-साइकिलिंग के महत्व पर प्रकाश डाला।

श्री पीयूष गोयल ने सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात खपत के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य की आवश्यकता पर जोर देते हुए उद्योग के दिग्गजों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नवीन और टिकाऊ प्रथाओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।

श्री पीयूष गोयल ने ‘ब्रांड इंडिया प्रोजेक्ट’ के लिए इस्पात उद्योग के समर्थन को स्वीकार किया और उद्योग से अपनी ताकत दिखाने के लिए आगामी प्रदर्शनियों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने भारत की प्रगति और विकास की आधारशिला बनने की उद्योग की क्षमता में भी अपने विश्वास को दोहराया।