देश भर के डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) में बड़ी संख्या में रिक्त पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र सरकार और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है।
यह याचिका एडवोकेट अमित सहनी ने दायर की है, जिसमें DRT में अध्यक्षों और सदस्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए निर्देश मांगे गए हैं। याचिका में तर्क दिया गया है कि इन रिक्तियों के कारण DRT में मामलों का निपटारा धीमा हो रहा है और लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्यों से चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।
याचिका में मुख्य तर्क:
- DRT में रिक्त पदों के कारण मामलों के निपटारे में देरी हो रही है।
- लंबित मामलों की संख्या बढ़ने से बैंकों और वित्तीय संस्थानों को समस्या हो रही है।
- रिक्तियों के कारण DRT का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
DRT का महत्व:
- DRT बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण वसूली के लिए स्थापित विशेष न्यायाधिकरण हैं।
- DRT में मामलों का निपटारा तेजी से होता है।
- DRT का गठन ऋण वसूली की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए किया गया था।
यह मामला DRT के कामकाज और ऋण वसूली की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से DRT में रिक्त पदों को भरने और उनके कामकाज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।