
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) प्रणाली को “मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन” घोषित करने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसे उच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है।
याचिका में तर्क दिया गया कि टीडीएस प्रणाली करदाताओं पर अत्यधिक प्रशासनिक खर्चों का बोझ डालती है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन करती है। याचिका में केंद्र सरकार, विधि एवं न्याय मंत्रालय, विधि आयोग और नीति आयोग को पक्षकार बनाया गया।
याचिका में मांग की गई कि नीति आयोग टीडीएस प्रणाली में बदलाव सुझाए और विधि आयोग इसकी वैधता की जांच करे।
याचिका के अनुसार, टीडीएस प्रणाली कमजोर वर्गों पर अनुचित बोझ डालती है और कर संग्रह की जिम्मेदारी निजी नागरिकों पर डालती है, जो अनुच्छेद 23 का उल्लंघन है। टीडीएस से जुड़ी प्रक्रियाएं अत्यधिक तकनीकी हैं, जिनके लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जो अधिकांश करदाताओं के पास नहीं होती।
टीडीएस प्रणाली सरकार के लिए स्थिर राजस्व प्रवाह सुनिश्चित करती है, लेकिन करदाताओं पर बड़े प्रशासनिक और वित्तीय दायित्व डालती है। मामूली त्रुटियां भी करदाता की राशि अटकने का कारण बनती हैं।
याचिका में कहा गया कि यह प्रणाली कमजोर और अनपढ़ करदाताओं को अनुचित कठिनाइयों में डालती है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है।