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उपराष्ट्रपति ने वनों के संरक्षण और विकास के लिए संतुलन बनाने पर जोर दिया

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उपराष्ट्रपति ने वनों के संरक्षण और विकास के लिए संतुलन बनाने पर जोर दिया

देहरादून, 28 अक्टूबर 2023: उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज वनों के संरक्षण और विकास के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वन हमारे लाखों नागरिकों, विशेषकर आदिवासी समुदायों की जीवन रेखा हैं, और उन्हें केवल संसाधनों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में वनों पर संयुक्त राष्ट्र मंच – भारत द्वारा देश के नेतृत्व वाली पहल के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे जंगल फलते-फूलते रहें, जबकि हमारी विकास आवश्यकताओं को भी पूरा करते रहें।

उन्होंने कहा, “हमारे वन केवल एक संसाधन मात्र नहीं हैं बल्कि देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को भी समाहित करते हैं।”

श्री धनखड़ ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर खतरा है जिसका सामना हम सभी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन एक कार्बन सिंक प्रदान करते हैं जो हर साल 2.4 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन को अवशोषित करता है।

उन्होंने कहा, “हम सभी को यह महसूस करने की आवश्यकता है कि वन ही जलवायु परिवर्तन का एक मात्र समाधान हैं।”

उपराष्ट्रपति ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत की आधी बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होगी।

उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी और भारत को एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में स्थापित करेगी।”

उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर आए उपराष्ट्रपति ने इससे पहले गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ का दौरा किया। उन्होंने कहा कि इन यात्राओं ने उन्हें भारत की प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति का अनुभव कराया।

उन्होंने कहा, “देवभूमि एक पवित्र स्थान है जो हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है।”

इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, वन महानिदेशक, श्री चंद्र प्रकाश गोयल, निदेशक, यूनिसेफ सुश्री जूलियट बियाओ कॉडेनौक पो, अतिरिक्त महानिदेशक वन, महानिदेशक, आईसीएफआरई, श्री बिवाश रंजन, श्री भरत ज्योति, और विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सम्मानित प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मुख्य बिंदु

  • उपराष्ट्रपति ने वनों के संरक्षण और विकास के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • उन्होंने कहा कि वन हमारे लाखों नागरिकों, विशेषकर आदिवासी समुदायों की जीवन रेखा हैं।
  • उन्होंने कहा कि वन जलवायु परिवर्तन का एकमात्र समाधान हैं।
  • उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी रेखांकित किया।
  • उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत की आधी बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होगी।
  • उन्होंने उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे के अपने अनुभव को साझा किया।