Skip to content

अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी आरोप: कांग्रेस ने फिर उठाई जेपीसी जांच की मांग

  • News
jairam ramesh

गुरुवार को कांग्रेस ने एक बार फिर अडानी ग्रुप के लेनदेन की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग की। अमेरिकी अधिकारियों ने गौतम अडानी और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा
“गौतम अडानी और अन्य के खिलाफ अमेरिकी एसईसी द्वारा आरोपपत्र दायर किया जाना उस मांग को सही ठहराता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जनवरी 2023 से कर रही है—मोडानी घोटालों की जेपीसी जांच।”
उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस ने ‘हम अडानी के हैं कौन’ (HAHK) श्रृंखला में 100 सवाल पूछे थे, जिनमें इन घोटालों और प्रधानमंत्री व उनके ‘प्रिय’ उद्योगपति के बीच के गहरे संबंधों को उजागर किया गया था।”

https://twitter.com/Jairam_Ramesh/status/1859418002149789947

अमेरिकी अधिकारियों ने अडानी को निवेशकों को गुमराह करने और अपनी कंपनी के भारत में बड़े सोलर ऊर्जा प्रोजेक्ट में कथित रिश्वतखोरी छिपाने के आरोप में दोषी ठहराया है। 62 वर्षीय अडानी पर सिक्योरिटी धोखाधड़ी और साजिश के आरोप लगाए गए हैं। बुधवार को सार्वजनिक किए गए आरोप पत्र के अनुसार, मामला अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य संगठन के बीच भारत सरकार को 12 गीगावॉट सोलर ऊर्जा आपूर्ति के समझौते से जुड़ा है। यह प्रोजेक्ट लाखों घरों और व्यापारिक इकाइयों को बिजली प्रदान करने के लिए पर्याप्त था।

https://twitter.com/Jairam_Ramesh/status/1859437418480533525

जयराम रमेश ने भारतीय नियामक संस्था सेबी की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“अमेरिकी एसईसी की कार्रवाई यह दर्शाती है कि भारतीय सेबी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ कानूनों के उल्लंघन की जांच किस प्रकार लचर तरीके से की है। सेबी अडानी ग्रुप के निवेशों के स्रोत, शेल कंपनियों आदि पर जवाबदेही तय करने में पूरी तरह विफल रहा है।”

आरोप पत्र में यह भी बताया गया कि जब इस परियोजना को वॉल स्ट्रीट निवेशकों के सामने सकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा था, तो उसी दौरान भारत में 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वतखोरी योजना चलाई जा रही थी ताकि अनुबंध और फंडिंग हासिल की जा सके।

उप सहायक अटॉर्नी जनरल लिसा मिलर ने कहा,
“अडानी और उनके सहयोगी भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से राज्य की ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करना और उसे वित्तपोषित करना चाहते थे, जिससे अमेरिकी निवेशकों को नुकसान हुआ।”
अमेरिकी अटॉर्नी ब्रियॉन पीस ने कहा, “आरोपियों ने एक जटिल योजना बनाई और अपने स्वार्थ के लिए हमारे वित्तीय बाजारों की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई।”

इस मामले ने भारतीय राजनीति में फिर हलचल मचा दी है और कांग्रेस ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।