भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के निर्माण में अड़चन आ गई है। दरअसल, रेलवे और रूसी कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (TMH) के बीच ट्रेन के डिज़ाइन को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।
TMH के साथ 14 महीने पहले करार होने के बावजूद, रेलवे ने अब तक स्लीपर कोच के डिज़ाइन को मंजूरी नहीं दी है। वजह? रेलवे डिज़ाइन में कुछ बदलाव चाहता है, जैसे हर कोच में ज़्यादा टॉयलेट, हर ट्रेन में पेंट्री कार और सामान रखने की जगह।
TMH का कहना है कि इन बदलावों से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ेगी और ट्रेन के निर्माण में देरी होगी। कंपनी ने रेलवे से मुआवज़े की मांग भी की है।
क्या हैं बदलाव?
- पहले हर कोच में 3 टॉयलेट थे, अब रेलवे 4 चाहता है।
- पहले हर कोच में पेंट्री एरिया था, अब रेलवे हर ट्रेन में अलग से पेंट्री कार चाहता है।
- पहले सामान रखने की कोई जगह नहीं थी, अब रेलवे हर कोच में यह जगह चाहता है।
- पहले 16 कोच वाली 120 ट्रेनें बननी थीं, अब 24 कोच वाली 80 ट्रेनें बनाने की बात है।
TMH का कहना है कि डिज़ाइन में बदलाव से इंजीनियरिंग में भी बदलाव करने पड़ेंगे, जिससे समय और पैसा दोनों ज़्यादा लगेगा।
TMH के CEO किरिल लीपा ने बताया कि TMH ने सबसे कम बोली लगाकर टेंडर जीता था, इसलिए लागत में ज़्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस महीने भारत-रूस इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन की मीटिंग में यह मुद्दा विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के पहले उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव के सामने उठाया गया था।
मामला जयशंकर तक पहुंचा
यह मामला भारत और रूस के बीच हुई इंटर-गवर्नमेंटल मीटिंग में भी उठाया गया, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के पहले उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव मौजूद थे।
TMH को उम्मीद है कि इस मीटिंग के बाद रेलवे डिज़ाइन को जल्द मंजूरी दे देगा और प्रोजेक्ट में और देरी नहीं होगी।
देखना होगा कि रेलवे और TMH के बीच यह गतिरोध कब तक सुलझता है और वंदे भारत स्लीपर ट्रेन कब तक पटरी पर दौड़ती नज़र आती है।
देखिये वन्दे भारत स्लीपर की कुछ संभावित तस्वीरें –