जावेद अख्तर ने हाल ही में पुराने गानों के रीमिक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पुराने गानों का रीमिक्स सिर्फ याद दिलाने के लिए होना चाहिए, न कि व्यावसायिक कारणों से। उन्होंने पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करने, उनमें रैप मिक्स करने की आलोचना की है।
अख्तर का कहना है कि पुराने गानों का रीमिक्स करना गलत नहीं है, लेकिन इसे सावधानी से करना चाहिए। उन्हें लगता है कि पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करने से उनकी गरिमा खराब होती है। उन्होंने पुराने गानों को एक सांस्कृतिक विरासत बताया है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।
अख्तर के बयान से कई लोगों ने सहमति जताई है। उनका कहना है कि पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करने से उनके मूल रूप को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि पुराने गानों को नए दौर के हिसाब से पेश करना जरूरी है।
रीमिक्स गानों पर दो तरह की राय है। कुछ लोगों का मानना है कि पुराने गानों को नए दौर के हिसाब से पेश करना जरूरी है। वे कहते हैं कि इससे युवा पीढ़ी उन गीतों से जुड़ सकती है।
दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करना गलत है। वे कहते हैं कि इससे गीतों की मूल भावना खराब होती है।
जावेद अख्तर के बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर एक बहस चल रही है। इस बहस का अंत कब होगा, यह कहना मुश्किल है।
जावेद अख्तर के बयान के प्रमुख बिंदु:
- पुराने गानों के रीमिक्स सिर्फ याद दिलाने के लिए होने चाहिए, न कि व्यावसायिक कारणों से।
- पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करना गलत है।
- पुराने गानों को एक सांस्कृतिक विरासत माना जाना चाहिए।
- पुराने गानों को नए दौर के हिसाब से पेश किया जा सकता है, लेकिन सावधानी से।