बिहार सरकार जाति गणना रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण सीमा बढ़ाने की तैयारी कर रही है। अक्टूबर 2023 में जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी वर्ग की हिस्सेदारी 63% है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार 6 नवंबर 2023 से शुरू होने वाले बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आरक्षण सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव ला सकती है।
हालांकि, आरक्षण सीमा 50% से अधिक बढ़ाने पर कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में एक फैसले में कहा था कि आरक्षण सीमा 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद, कई राज्यों ने आरक्षण सीमा बढ़ाने के लिए कानून बनाए हैं, लेकिन इन कानूनों को अदालत में चुनौती दी गई है।
कानूनी चुनौतियों के बावजूद, महागठबंधन सरकार आरक्षण सीमा बढ़ाने के लिए आगे बढ़ने की संभावना है। सरकार का मानना है कि इससे ओबीसी और ईबीसी वर्ग के लोगों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अधिक अवसर मिलेंगे।
यह देखना बाकी है कि महागठबंधन सरकार आरक्षण सीमा बढ़ाने में सफल होगी या नहीं। हालांकि, इस प्रस्ताव का 2024 के लोकसभा चुनावों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।