
12 जून की सुबह जब एक रूटीन उड़ान ने त्रासदी का रूप ले लिया, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह दिन भारतीय विमानन इतिहास का सबसे भयावह अध्याय बन जाएगा। अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया, जिससे 241 लोगों की जान चली गई। केवल एक यात्री, जो सीट 11A पर था, इस भयानक हादसे में जीवित बच पाया।
इस दुर्घटना ने न सिर्फ देश को, बल्कि टाटा समूह को भी गहरे शोक में डुबो दिया है। एयर इंडिया के मालिक टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इसे समूह के इतिहास का “सबसे अंधकारमय दिन” बताया। कर्मचारियों को भेजे गए अपने संदेश में उन्होंने लिखा, “हम सभी स्तब्ध और शोक में हैं। एक जान का जाना भी त्रासदी है, लेकिन इतने लोगों की एक साथ मौत को समझना नामुमकिन है।”
मेडिकल कॉलेज से टकराने के चलते 5 एमबीबीएस छात्र, एक पीजी रेजिडेंट डॉक्टर और एक वरिष्ठ डॉक्टर की पत्नी की भी जान चली गई। इस दुर्घटना में न केवल विमान में सवार लोग, बल्कि ज़मीन पर मौजूद निर्दोष लोग भी इसकी चपेट में आ गए।
जांच एजेंसियों की टीमें – भारत, अमेरिका और ब्रिटेन से – अहमदाबाद पहुंच चुकी हैं और इस हादसे के पीछे के कारणों की पड़ताल कर रही हैं। प्रारंभिक तौर पर इंजन फेल होने या तकनीकी खराबी की आशंका जताई जा रही है, लेकिन फिलहाल कोई भी निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगा।
टाटा समूह ने हादसे के तुरंत बाद पारदर्शिता और जवाबदेही की बात कही है। चंद्रशेखरन ने आश्वस्त किया कि समूह जांच में पूरा सहयोग करेगा और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उन्हें सार्वजनिक किया जाएगा। “हमें पीड़ित परिवारों, क्रू और यात्रियों का भरोसा बनाए रखना है,” उन्होंने कहा।
इस बीच DGCA ने एयर इंडिया के पूरे बोइंग 787 बेड़े की एक बार की गहन सुरक्षा जांच के आदेश दिए हैं। 15 जून से शुरू होने वाली इस जांच में फ्यूल सिस्टम, इंजन कंट्रोल, हाइड्रॉलिक और ऑयल सिस्टम समेत कई अहम तकनीकी पहलुओं की समीक्षा की जाएगी।
यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि इंसानी जिंदगियों का ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं। टाटा समूह ने यह साफ कर दिया है कि वो अपने मूल्यों – भरोसा और संवेदना – से पीछे नहीं हटेगा। “हम इस दर्द को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। हम इसे नहीं भूलेंगे,” चंद्रशेखरन ने अपने संदेश में कहा।