सायरन नहीं, सतर्कता चाहिए: गृह मंत्रालय की मीडिया को एडवाइज़री amid बढ़ता भारत-पाक तनाव

जैसे-जैसे भारत-पाकिस्तान तनाव खतरनाक मोड़ पर पहुंच रहा है, सरकार अब सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं, देश के भीतर भी ‘साइकोलॉजिकल वारफेयर’ को लेकर सतर्क हो गई है। गृह मंत्रालय ने शनिवार को सभी मीडिया चैनलों को चेतावनी दी है कि वे अपने कार्यक्रमों में सिविल डिफेंस एयर रेड सायरन की आवाज़ का उपयोग न करें, जब तक वह जागरूकता अभियान न हो।

📢 क्या है एडवाइज़री?

गृह मंत्रालय के अधीन फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स के डायरेक्टोरेट जनरल ने इस बाबत सभी मीडिया चैनलों को निर्देश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि सायरन की ध्वनि का बार-बार प्रयोग नागरिकों की संवेदनशीलता को कम कर सकता है और असली खतरे के वक्त भ्रम पैदा कर सकता है।

“ऐसा प्रयोग सिर्फ सामुदायिक जागरूकता अभियानों तक सीमित रहे, ताकि नागरिकों को सही समय पर खतरे की पहचान हो सके,” — गृह मंत्रालय

🧠 मनोवैज्ञानिक युद्ध और मीडिया की भूमिका

यह एडवाइज़री ऐसे समय पर आई है जब पाकिस्तान द्वारा ड्रोन और मिसाइल हमले के बाद देश के कई हिस्सों में एयर रेड सायरन बजाए गए और ब्लैकआउट लागू किए गए। हिमाचल प्रदेश में आईपीएल मैच भी बीच में रोकना पड़ा।

🇮🇳 भारत का पलटवार और पाक का झूठ

शनिवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने पाकिस्तान द्वारा फैलाई जा रही दुष्प्रचार की पोल खोलते हुए कहा कि:

  • S-400 सिस्टम, ब्रह्मोस यूनिट, और एयरबेस को नुकसान पहुँचने के दावे झूठे हैं
  • टाइम-स्टैम्प इमेज के साथ सबूत दिए गए कि सभी ठिकाने सुरक्षित हैं।
  • भारतीय सेना ने एलओसी पर पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है।

“पाकिस्तान का मकसद भारत की सैन्य क्षमता को लेकर भ्रम फैलाना है और नागरिकों में भय पैदा करना है,” — विंग कमांडर व्योमिका सिंह

🚨 गांव-गांव तक तैयारी का आदेश

गृह मंत्रालय ने देश के 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में 7 मई को बड़े स्तर पर सिविल डिफेंस अभ्यास आयोजित करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य नागरिकों, छात्रों और स्थानीय संस्थाओं को किसी संभावित हमले के दौरान बचाव की रणनीति सिखाना है।

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