भारत-बांग्लादेश व्यापार विवाद: आयात प्रतिबंधों से बढ़ता तनाव

भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों में आई दरार अब खुलकर सामने आ चुकी है। भारत सरकार ने हाल ही में बांग्लादेश से आयात होने वाले रेडीमेड गारमेंट्स और उपभोक्ता वस्तुओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जो अब केवल दो समुद्री बंदरगाहों — कोलकाता और न्हावा शेवा — से ही आ सकेंगी। इसके पहले ये वस्तुएं उत्तर-पूर्वी राज्यों के ज़मीनी बंदरगाहों के जरिए आती थीं।

क्या है नया प्रतिबंध?

नए नियमों के तहत:

  • बांग्लादेश से रेडीमेड गारमेंट्स, प्लास्टिक सामान, प्रोसेस्ड फूड, फर्नीचर, और कपास जैसे उत्पाद 11 ज़मीनी बंदरगाहों के जरिए भारत में नहीं आ सकेंगे।
  • यह निर्णय भारतीय वाणिज्य मंत्रालय और विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी अधिसूचना के तहत लिया गया।
  • हालांकि, मछली, एलपीजी, खाने का तेल और क्रश्ड स्टोन जैसे कुछ उत्पाद इन प्रतिबंधों से मुक्त हैं।

भारत का तर्क: बराबरी का व्यवहार नहीं

भारत ने यह कदम “पारस्परिकता और समानता” के सिद्धांत के तहत उठाया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार:

  • बांग्लादेश ने भारतीय निर्यातों पर पहले से ही कई पाबंदियाँ लगा रखी हैं — जैसे कि यार्न, चावल और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर।
  • भारतीय निर्यातकों को बांग्लादेशी बंदरगाहों पर कठोर जांच और देरी का सामना करना पड़ता है।
  • बांग्लादेश ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से आने वाले सामानों पर भी भेदभाव किया है, जबकि उन्हें भारत के बाज़ार तक खुली पहुँच दी गई है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और चीन का प्रभाव

इस व्यापार विवाद का राजनीतिक पहलू भी है:

  • अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन और अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में ठंडक आ गई है।
  • अंतरिम प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के चीन दौरे और 2.1 अरब डॉलर के निवेश समझौते ने भारत की चिंताओं को और गहरा किया है।
  • यूनुस द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को “समुद्रविहीन” बताना और उसे “चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार” कहे जाने से नई दिल्ली में नाराज़गी है।

आगे क्या?

विश्लेषकों के अनुसार यह टकराव केवल व्यापार का मुद्दा नहीं है, बल्कि रणनीतिक दबाव और क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर भी है। भारत की ओर से यह स्पष्ट संकेत है कि:

“बाजार तक पहुँच को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आप केवल उन्हीं चीजों का निर्यात नहीं कर सकते जो आपको लाभ दे और दूसरों को रोक दें।”

भारत अब पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और व्यापारिक असंतुलन को दूर करने के लिए यह सख्ती बरत रहा है।

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