मानव विकास के पथ पर भारत की तेज़ रफ्तार

भारत ने 2023 में मानव विकास सूचकांक (HDI) में अपनी स्थिति को और बेहतर करते हुए 193 देशों में 130वां स्थान हासिल किया है। पिछले साल तक यह रैंकिंग 133 थी। यह इज़ाफा केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह उस जमीनी बदलाव की तस्दीक करता है जो देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और आय जैसे क्षेत्रों में हो रहा है।

HDI की नई रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है “A Matter of Choice: People and Possibilities in the Age of AI”, बताती है कि भारत ने 0.644 से बढ़कर 0.685 का स्कोर हासिल किया है। यानि अब भारत ‘high human development’ कैटेगरी की दहलीज़ पर खड़ा है। लेकिन अभी रास्ता तय करना बाकी है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में, भारत की औसत आयु 72 साल हो चुकी है — यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। यह दर्शाता है कि कोविड-19 के बाद देश ने स्वास्थ्य सेवाओं में जो निवेश किया, उसका असर दिखने लगा है। जननी सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत, और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसे प्रोग्राम्स ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है।

शिक्षा की बात करें तो, औसत स्कूली शिक्षा के वर्षों में भी सुधार देखने को मिला है। 6.57 से बढ़कर 6.88 साल हो गए हैं। हालांकि अपेक्षित शिक्षा वर्षों (Expected years of schooling) में ज़्यादा बदलाव नहीं आया, लेकिन यह इशारा करता है कि अब जरूरत गुणवत्ता और लर्निंग आउटकम्स पर फोकस बढ़ाने की है। समग्र शिक्षा अभियान, RTE एक्ट और नई शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा दी है।

अब ज़रा अर्थव्यवस्था की बात करें — GNI प्रति व्यक्ति (PPP के आधार पर) बढ़कर 9,046.76 अमेरिकी डॉलर हो चुका है। 1990 में यह आंकड़ा सिर्फ 2,167 डॉलर था। यानि चार गुना से भी ज़्यादा इज़ाफा। जन धन योजना, MGNREGA, और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों ने न सिर्फ लोगों को मुख्यधारा में लाने का काम किया, बल्कि 2015 से 2021 के बीच 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले — यह एक बड़ी उपलब्धि है।

लेकिन हर तस्वीर के दो पहलू होते हैं।

इस प्रगति के बावजूद भारत को सामाजिक असमानता भारी पड़ रही है। असमानता के चलते भारत का HDI स्कोर लगभग 30.7% तक घट जाता है। खासकर, लैंगिक असमानता अब भी एक बड़ी चुनौती है। Gender Development Index में भारत की रैंकिंग 102 है। महिलाएं शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में पीछे हैं। हाल ही में पास हुआ महिला आरक्षण विधेयक, उम्मीद है कि इस स्थिति को कुछ हद तक बदल सकेगा।

अब अगर बात हो भविष्य की, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का रोल नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। भारत आज दुनिया में सबसे ज़्यादा AI स्किल penetration वाला देश बन चुका है। 2019 में जहां AI में काम करने वाले भारतीय टैलेंट का ज़्यादातर हिस्सा विदेश चला जाता था, वहीं अब 20% देश में ही काम कर रहा है। खेती से लेकर हेल्थकेयर तक, हर सेक्टर में AI की एंट्री हो चुकी है।

लेकिन एक चेतावनी भी इस रिपोर्ट में दर्ज है — अगर 2024 में विकास की रफ्तार इसी तरह धीमी रही तो 2030 के सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंचने में दशकों लग सकते हैं। यानि आगे का रास्ता आसान नहीं, लेकिन मुमकिन ज़रूर है।

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