
पहल्गाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसमें ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल की भूमिका निर्णायक रही। भारत की इस सटीक और तेज़ मिसाइल ने एक तरफ पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया, तो दूसरी ओर, पूरी दुनिया को भारत की रणनीतिक क्षमता और सैन्य ताकत का एहसास करा दिया।
ब्रह्मोस की ये पहली लाइव ऑपरेशन में तैनाती थी और पाकिस्तान भले ही इस बात को स्वीकारने से बचे, लेकिन भारत के अंदर से और खुद पाकिस्तान के सूत्रों से इसकी पुष्टि हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी लखनऊ में ब्रह्मोस यूनिट के उद्घाटन के मौके पर इसके इस्तेमाल की बात को सार्वजनिक किया।
ब्रह्मोस: भारत की सुपरसोनिक गर्जना
भारत और रूस के साझा सहयोग से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल आज भारत की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है। यह मिसाइल ज़मीन, समुद्र और हवा से दागी जा सकती है, जिससे दुश्मन के लिए इसे रोकना लगभग नामुमकिन हो जाता है। इसकी रफ्तार Mach 3 तक पहुंचती है, जो किसी भी पारंपरिक मिसाइल से कहीं तेज है।
ब्रह्मोस की मारक क्षमता भी लगातार बढ़ाई गई है — अब इसके नए संस्करण 500 से 800 किलोमीटर तक दुश्मन को चीर सकते हैं। ये मिसाइल सिर्फ ताकतवर नहीं, बल्कि सटीक भी है, जो 10 मीटर की ऊंचाई तक नीचे उड़कर भी लक्ष्य को भेद सकती है।
ब्रह्मोस बना एक्सपोर्ट हॉटस्पॉट
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरी दुनिया की नजरें इस मिसाइल पर टिक गई हैं। फिलहाल फिलीपींस अकेला ऐसा देश है, जिसने ब्रह्मोस की तीन तटीय रक्षा बैटरियों का सौदा किया है — जिसकी पहली डिलीवरी अप्रैल 2024 में और दूसरी अप्रैल 2025 में हो चुकी है।
लेकिन इसके अलावा दर्जनों देश ब्रह्मोस खरीदने की कतार में हैं:
- इंडोनेशिया $450 मिलियन का सौदा करने की तैयारी में है।
- वियतनाम $700 मिलियन की डील चाहता है, जिसमें थल और नौसेना दोनों के लिए मिसाइल शामिल हैं।
- मलेशिया अपने सुखोई लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस की संभावनाएं तलाश रहा है।
- थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देश बातचीत के विभिन्न चरणों में हैं।
- ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला जैसे लैटिन अमेरिकी देश इसके नौसेना संस्करण में रुचि दिखा रहे हैं।
- मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, क़तर, ओमान समेत मध्य पूर्व के देश भी बातचीत की टेबल पर हैं।
- दक्षिण अफ्रीका और बुल्गारिया जैसे देश भी अब भारत के दरवाजे खटखटा रहे हैं।
कूटनीति में नया मोर्चा
विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रह्मोस को लेकर बढ़ती मांग दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता का सीधा असर है। इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देश अब अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को भी ब्रह्मोस में वही रणनीतिक समाधान दिख रहा है जो फिलीपींस ने चुना।
भारतीय डिफेंस एक्सपोर्ट का यह सबसे बड़ा चैप्टर बनता जा रहा है — और यह दर्शाता है कि भारत अब केवल एक रक्षा उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक प्रमुख वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता बन चुका है।