
पाकिस्तान को एक बार फिर से Financial Action Task Force (FATF) की ग्रे लिस्ट में डालने और वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रस्तावित अरबों डॉलर की फंडिंग को रोकने के लिए भारत एक आक्रामक वैश्विक अभियान की तैयारी में है। यह पहल भारत द्वारा की गई “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद आई है, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए थे। इन हमलों के जवाब में पाकिस्तान की ओर से की गई क्रॉस-बॉर्डर गोलाबारी में 27 नागरिक मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए।
FATF ग्रे लिस्ट में डालने की कवायद
सूत्रों के अनुसार, जून में होने वाली FATF की आगामी plenary बैठक में भारत पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल कराने की मांग करेगा। भारत के पास ऐसे ठोस प्रमाण हैं जो दिखाते हैं कि पाकिस्तान ने anti-money laundering और counter-terror financing पर FATF की शर्तों को लागू नहीं किया है, और UN द्वारा घोषित आतंकवादियों पर कार्रवाई में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
विशेष रूप से भारत ने इस ओर इशारा किया है कि पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी हाल ही में एक ऐसे आतंकी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे जो Hafiz Abdul Rauf के नाम से जाना जाता है — एक घोषित लश्कर-ए-तैयबा कमांडर। पाकिस्तान ने इस आतंकी को “एक आम नागरिक” बताकर भ्रम फैलाने की कोशिश की थी।
FATF ग्रे लिस्ट में वापसी क्यों महत्वपूर्ण?
FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होना किसी भी देश की क्रेडिट रेटिंग को नुकसान पहुंचाता है और उसे IMF, वर्ल्ड बैंक जैसे बहुपक्षीय संस्थानों से आर्थिक मदद हासिल करने में मुश्किलें आती हैं। अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किया गया था, लेकिन भारत का तर्क है कि यह निर्णय जल्दबाज़ी में लिया गया था और पाकिस्तान अब भी आतंकी वित्तपोषण का केंद्र बना हुआ है।
वर्ल्ड बैंक की फंडिंग पर आपत्ति
वर्ल्ड बैंक की प्रस्तावित $20 अरब की फंडिंग, जो पाकिस्तान को 2026 से 10 वर्षों के लिए स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और विकास पर खर्च के लिए दी जानी है, उस पर भारत ने गंभीर आपत्ति जताई है। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने अतीत में इन जैसे फंडों का विकास के बजाय हथियार खरीद और सैन्य विस्तार में दुरुपयोग किया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत किसी भी देश को विकास के लिए दी जाने वाली मदद का विरोध नहीं करता, लेकिन जब वही पैसा हथियारों और आतंकियों पर खर्च हो, तब हमें चुप नहीं रहना चाहिए।”
IMF में भी जताई चिंता
भारत ने IMF प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा से संपर्क कर और बोर्ड में शामिल प्रमुख देशों से संवाद कर पाकिस्तान को हाल ही में मिले $2.3 अरब के पैकेज पर कड़ा विरोध जताया था। हालांकि भारत इस फंड को रोक नहीं पाया, लेकिन उसकी कोशिशों से IMF ने पाकिस्तान पर 11 कड़े शर्तें लागू कीं हैं — जिनमें राजकोषीय, सामाजिक, ऊर्जा, व्यापार, और सरकारी सुधारों से जुड़ी शर्तें शामिल हैं।
डेटा क्या कहता है?
- पाकिस्तान अपने कुल बजट का औसतन 18% रक्षा खर्च में लगाता है, जो अन्य संघर्षग्रस्त देशों के औसत 10–14% से कहीं अधिक है।
- 1980 से 2023 के बीच जब-जब पाकिस्तान को IMF से मदद मिली, उन वर्षों में उसके हथियारों के आयात में 20% से ज्यादा की वृद्धि देखी गई।