भारत में विदेशी वकीलों को सीमित प्रैक्टिस की अनुमति

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अपने नियमों में बड़ा संशोधन करते हुए विदेशी वकीलों और लॉ फर्म्स को भारत में सीमित रूप से विदेशी और अंतरराष्ट्रीय कानून की प्रैक्टिस की अनुमति दे दी है। हालांकि, इन पेशेवरों को भारतीय कानून की प्रैक्टिस या अदालतों में पेश होने की सख्त मनाही होगी।

BCI की ओर से बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह फैसला भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता (International Commercial Arbitration) का एक वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। इसके तहत विदेशी वकील भारत में तब तक मध्यस्थता मामलों में भाग ले सकते हैं, जब तक वे विदेशी या अंतरराष्ट्रीय कानून से जुड़े हों।

क्या कहती हैं संशोधित गाइडलाइन्स?

BCI ने वर्ष 2022 में जारी विदेशी वकीलों और लॉ फर्म्स के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन संबंधी नियमों में संशोधन किया है, जिसे 10 मार्च 2023 को गजट में प्रकाशित किया गया था। नए संशोधन साफ़ करते हैं कि विदेशी वकील भारत में केवल गैर-मुकदमेबाज़ी (non-litigious) क्षेत्रों में ही काम कर सकते हैं। वे भारतीय अदालतों, ट्रिब्यूनलों या किसी भी वैधानिक प्राधिकरण के समक्ष पेश नहीं हो सकते और न ही भारतीय कानून की व्याख्या कर सकते हैं।

भारतीय वकीलों के अधिकारों की सुरक्षा

BCI ने ज़ोर देकर कहा है कि भारतीय कानून की प्रैक्टिस का विशेषाधिकार सिर्फ भारतीय अधिवक्ताओं के पास रहेगा, जैसा कि ‘एडवोकेट्स एक्ट, 1961’ में निर्धारित है। इन संशोधनों का उद्देश्य भारतीय वकीलों के अधिकारों और हितों की रक्षा करते हुए, उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून और मध्यस्थता के क्षेत्र में वैश्विक अवसर उपलब्ध कराना है।

किन शर्तों पर काम कर सकेंगे विदेशी वकील?

भारत में कार्य शुरू करने से पहले, विदेशी वकीलों और लॉ फर्म्स को भारत सरकार के दो मंत्रालयों—कानून और न्याय मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय—से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही वे BCI के पास पंजीकरण करा सकेंगे।

संतुलित और संरचित फ्रेमवर्क

BCI का मानना है कि यह नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क एक संतुलित और पारदर्शी व्यवस्था प्रदान करता है, जिससे न केवल भारत की कानूनी संप्रभुता बनी रहती है, बल्कि भारतीय वकीलों को वैश्विक पटल पर अपनी विशेषज्ञता बढ़ाने का मौका भी मिलता है। विदेशी वकीलों को सीमित दायरे में कार्य करने की अनुमति देकर भारत, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निवेश के लिए एक सुरक्षित और आकर्षक गंतव्य बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

निष्कर्ष

संशोधित नियमों के जरिए BCI ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत की कानूनी व्यवस्था का मूल आधार भारतीय वकील ही बने रहेंगे, लेकिन एक नियंत्रित दायरे में विदेशी विशेषज्ञता का स्वागत कर भारत खुद को एक वैश्विक मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है।

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