भारत की GDP ग्रोथ पर SBI और RBI की रिपोर्ट: FY25 में चुनौतियां और संभावनाएं

देश की आर्थिक स्थिति पर हालिया रिपोर्ट्स में, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FY25 के लिए भारत की GDP वृद्धि के अनुमान में संशोधन किया है। SBI ने GDP ग्रोथ को 6.3% पर आंका है, जो नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के 6.4% और RBI के 6.6% के अनुमानों से कम है।

SBI की रिपोर्ट: चुनौतियों और क्षेत्रों का विश्लेषण

SBI की रिपोर्ट ने FY25 में GDP ग्रोथ पर “डाउनवर्ड बायस” का उल्लेख किया है। रिपोर्ट के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग और क्रेडिट ग्रोथ में मंदी, साथ ही उच्च बेस इफेक्ट का प्रभाव, FY25 में विकास को धीमा कर सकता है।

  • उद्योग क्षेत्र: FY25 में उद्योग क्षेत्र की ग्रोथ 6.2% रहने की उम्मीद है, जो FY24 के 9.5% से काफी कम है। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग में तेज गिरावट का अनुमान है।
  • कृषि क्षेत्र: FY25 में कृषि क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि होने की संभावना है, जो FY24 के 1.4% से बेहतर है। यह आर्थिक दृष्टिकोण के लिए सकारात्मक संकेत है।
  • निजी खपत: सरकारी खपत 8.5% (नॉमिनल) और 4.1% (रियल) बढ़ने की संभावना है, जो अर्थव्यवस्था को समर्थन दे सकती है।

हालांकि, FY25 में प्रति व्यक्ति GDP में ₹35,000 की वृद्धि का अनुमान है, लेकिन नाममात्र GDP की वृद्धि स्थिर रहने की उम्मीद है, जो FY24 के 9.6% से मामूली बढ़कर 9.7% हो सकती है।

RBI का अनुमान और नीतिगत कदम

RBI ने अपनी हालिया मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में FY25 की GDP ग्रोथ के अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया।

  • CRR में कटौती: RBI ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की घोषणा की है। यह कटौती दो चरणों में होगी—14 दिसंबर और 28 दिसंबर, 2024 को। इससे बैंकिंग प्रणाली में ₹1.16 लाख करोड़ की नकदी उपलब्ध होगी।
  • प्रभाव: SBI ने कहा कि CRR कटौती से सीधे लेंडिंग या डिपॉजिट रेट्स पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन बैंकों की शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) को 3-4 बेसिस पॉइंट्स तक बढ़ा सकता है।

वैश्विक और घरेलू चुनौतियां

दोनों रिपोर्ट्स ने वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों, जैसे मुद्रास्फीति और प्रमुख क्षेत्रों की धीमी रिकवरी, पर चिंता जताई है। SBI और RBI दोनों का मानना है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने के लिए अधिक नीतिगत और संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है।

FY25: संतुलन की आवश्यकता

SBI और RBI की रिपोर्ट्स यह इंगित करती हैं कि FY25 में भारत की आर्थिक वृद्धि मध्यम रहेगी। जहां एक ओर कृषि और सरकारी खपत सकारात्मक योगदान देंगे, वहीं उद्योग और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में मंदी चुनौतियां पेश करेगी। ऐसे में, नीतिगत संतुलन और रणनीतिक हस्तक्षेप से भारत की विकास दर को बनाए रखना आवश्यक होगा।

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