भारत-चीन संबंधों में नई पहल: हवाई सेवा बहाली, व्यापार सहयोग और SCO बैठक की तैयारी

भारत और चीन के संबंधों में गत वर्षों की तनातनी के बाद अब धीरे-धीरे नरमी आती दिख रही है। 12 जून को नई दिल्ली में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइडोंग के बीच हुई अहम बैठक में दोनों देशों ने सीधी हवाई सेवाओं की बहाली और व्यापारिक मुद्दों पर संवाद बढ़ाने पर सहमति जताई।

यह वर्ष 2020 में सीमा विवाद के चलते बिगड़े संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि वे दोतरफा विश्वास बहाली, सीमावर्ती मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान और लोग-से-लोग संपर्क बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम करेंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • सीधी हवाई सेवाएं: दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने और ‘एयर सर्विस एग्रीमेंट’ को अद्यतन करने पर सहमति जताई।
  • वीजा सुविधा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: मीडिया, थिंक टैंक और आम नागरिकों के बीच संवाद को बढ़ावा देने पर सहमति।
  • कैलाश मानसरोवर यात्रा: भारत ने यात्रा फिर से शुरू करने में सहयोग देने के लिए चीन का आभार व्यक्त किया।
  • जल सहयोग: भारत ने ब्रह्मपुत्र (यारलुंग त्सांगपो) नदी पर चीन के बांध निर्माण को लेकर पारदर्शिता और डेटा साझा करने की आवश्यकता जताई।
  • व्यापार और दुर्लभ खनिज (rare earth) आपूर्ति: भारत ने आपूर्ति शृंखला में पूर्वानुमेयता और पारदर्शिता की बात रखी।

SCO बैठक और रणनीतिक संवाद

चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस वर्ष तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण दिया है, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ भी शिरकत करेंगे। हालाँकि, भारत ने अभी पीएम की भागीदारी की पुष्टि नहीं की है और विशेष प्रतिनिधियों की आगामी बैठक के नतीजों पर नजर रखेगा।

भारत ने इस बैठक में SCO का उल्लेख नहीं किया, लेकिन चीन के अनुसार भारत ने संगठन की अध्यक्षता में सहयोग का आश्वासन दिया। सुन वेइडोंग ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मुलाकात की।

रणनीति: आपसी विश्वास और वैश्विक स्थिरता

चीन की ओर से कहा गया कि दोनों देशों को मॉडर्न संबंधों की दिशा में नेताओं द्वारा दी गई ‘समझ’ का पालन करना चाहिए और आपसी मतभेदों को शांतिपूर्वक सुलझाते हुए वैश्विक स्थिरता में योगदान देना चाहिए।

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