
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मंच पर अपनी वन संपदा को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की है। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 5 से 9 मई तक चले यूनाइटेड नेशंस फोरम ऑन फॉरेस्ट्स (UNFF) में, इंडिया ने बताया कि देश का वन और वृक्ष कवर अब उसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 25.17% हो गया है। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, भारत ने इस मंच पर अपनी राष्ट्रीय संरक्षण पहलों पर भी जोर दिया।
UNFF में प्रस्तुत की गई नवीनतम स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (State of Forest Report) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में वन और वृक्ष कवर में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। मंत्रालय ने इस वृद्धि का श्रेय कई प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों को दिया। इनमें अरावली ग्रीन वॉल के तहत भूमि का पुनर्स्थापन, पिछले एक दशक में मैंग्रोव कवर में 7.86% की वृद्धि, ग्रीन इंडिया मिशन (Green India Mission) के तहत 1.55 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वनीकरण, और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ (Plant4Mother) अभियान के तहत 1.4 अरब पौधों का रोपण शामिल है।
भारत ने UNFF में ‘वैल्यूइंग फॉरेस्ट इकोसिस्टम्स इन नेशनल पॉलिसी एंड स्ट्रैटेजी’ (Valuing Forest Ecosystems in National Policy and Strategy) पर एक उच्च-स्तरीय पैनल चर्चा में भी भाग लिया। इसमें उत्तराखंड, राजस्थान और देश भर के बाघ अभ्यारण्यों में किए गए पायलट स्टडीज़ के निष्कर्ष साझा किए गए। इन अध्ययनों में कार्बन पृथक्करण (carbon sequestration), जल आपूर्ति और जैव विविधता संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (ecosystem services) का मात्रात्मक आकलन किया गया। इसके लिए सिस्टम ऑफ एन्वायरनमेंटल-इकोनॉमिक अकाउंटिंग (SEEA) और मिलेनियम इकोसिस्टम असेसमेंट (MEA) जैसे फ्रेमवर्क का उपयोग किया गया। भारत ने यह भी बताया कि गैर-बाजार सेवाओं (non-market services) के मूल्यांकन में चुनौतियाँ हैं, लेकिन वन शासन और दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता के लिए राष्ट्रीय नियोजन प्रक्रियाओं में पारिस्थितिकी तंत्र मूल्यांकन को एकीकृत करना आवश्यक है।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर वन और वृक्ष कवर में वृद्धि दिखाई गई है (ताजा रिपोर्ट में 2021 के बाद से 1,445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि बताई गई है, जो दिल्ली के क्षेत्रफल के बराबर है) और मंत्रालय इसे एक सकारात्मक प्रवृत्ति बता रहा है, लेकिन कई विशेषज्ञ इस रिपोर्ट की पद्धति और आंतरिक आंकड़ों पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2023 में जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2023 (ISFR 2023) में कुल वन और वृक्ष कवर 8,27,357 वर्ग किलोमीटर बताया गया है, जिसमें 21.76% वन कवर और 3.41% वृक्ष कवर है। लेकिन विशेषज्ञों का ओपिनियन है कि इस रिपोर्ट की पद्धति में कई खामियां हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि रिपोर्ट में वृक्षारोपण (plantations), बागों (orchards) और आम या नारियल जैसे पेड़ों को भी वन और वृक्ष कवर में गिना गया है, जिससे आकलन त्रुटिपूर्ण हो जाता है। ISFR 2023 के आंतरिक आंकड़ों से चिंताजनक प्रवृत्तियाँ सामने आई हैं, जिनमें 2021 और 2023 के बीच 1488 वर्ग किलोमीटर ‘अवर्गीकृत वनों’ (unclassed forests) का नुकसान, ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वनों की हानि, और 92,989 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र का क्षरण (degradation) शामिल है (जहां बहुत घने या मध्यम घने वन, खुले वन में बदल गए)। ISFR 2023 ने 2011 से 2021 के बीच 40,709.28 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र के क्षरण की भी पुष्टि की।
विशेषज्ञों का स्पष्ट ओपिनियन है कि ये आंकड़े वनों के वास्तविक कवर में वृद्धि के बजाय कमी और क्षरण की ओर इशारा करते हैं। उनका मानना है कि रिपोर्ट की वैज्ञानिक और तथ्यात्मक व्याख्या की जानी चाहिए, न कि सिर्फ एक ‘फील-गुड’ निष्कर्ष निकाला जाए। ISFR रिपोर्ट आमतौर पर द्विवार्षिक रूप से जारी की जाती है, लेकिन 2021 की रिपोर्ट के बाद 2023 की रिपोर्ट में एक साल से अधिक की देरी हुई है।
पर्यावरण मंत्रालय ने हालांकि, वनों के संरक्षण और विस्तार के लिए जारी प्रयासों पर जोर दिया है। भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), देहरादून 1987 से देश के वन कवर का द्विवार्षिक मूल्यांकन कर रहा है और इसकी रिपोर्ट ISFR के रूप में प्रकाशित होती है। सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कानूनों को लागू करने, सीमांकन करने, गश्त करने और अतिक्रमण रोकने के लिए परामर्श और वित्तीय/तकनीकी सहायता प्रदान करती है। नेशनल मिशन फॉर ए ग्रीन इंडिया (GIM), डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटेट्स (DWH), नगर वन योजना (NVY) और प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) जैसी योजनाओं के तहत वनीकरण और वन संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण धनराशि जारी की गई है। पिछले पाँच वर्षों में केवल CAMPA के तहत 38,502.21 करोड़ रुपये से अधिक का संवितरण किया गया है।
यूनाइटेड नेशंस फोरम ऑन फॉरेस्ट्स पिछले दो दशकों से वैश्विक वन नीति में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है और UN फॉरेस्ट इंस्ट्रूमेंट, ग्लोबल फॉरेस्ट गोल्स और UN स्ट्रेटेजिक प्लान फॉर फॉरेस्ट्स 2017-2030 जैसे फ्रेमवर्क को अपनाता है। ये वैश्विक लक्ष्य वनों की कटाई को पलटना, वन क्षेत्र को बढ़ाना और कार्बन स्टॉक को बनाए रखना शामिल करते हैं। UNFF20 का तकनीकी सत्र भी वन कवर के नुकसान को पलटने और वनों के बेहतर प्रबंधन पर केंद्रित है।
इस प्रकार, एक तरफ भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने वन कवर में वृद्धि और संरक्षण प्रयासों को प्रस्तुत कर रहा है, वहीं ISFR 2023 जैसे महत्वपूर्ण आर्टिकल्स के भीतर के आंकड़े और विशेषज्ञों का विश्लेषण रिपोर्ट की पद्धति और वास्तविक जमीनी स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं।