जम्मू-कश्मीर में संघर्षविराम से पहले पाकिस्तान की गोलाबारी, 5 नागरिकों की मौत

जम्मू-कश्मीर में संघर्षविराम से पहले पाकिस्तान की गोलाबारी, 5 नागरिकों की मौत

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही जम्मू-कश्मीर में हालात युद्ध जैसे हो गए। शनिवार सुबह की शुरुआत भारी गोलाबारी और ड्रोन हमलों के साथ हुई, जिसमें पांच नागरिकों की जान चली गई और कई घायल हुए। मरने वालों में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं।

पाकिस्तान की ओर से की गई इस अचानक और तीव्र गोलाबारी ने जम्मू, राजौरी, पुंछ और सीमावर्ती इलाकों को निशाना बनाया। राजौरी के औद्योगिक इलाके में बिहार निवासी मोहम्मद शोइब और उनकी दो साल की बेटी आयशा नूर की मौत तब हुई जब एक गोला उनके घर के पास फटा। इसी तरह पुंछ जिले के मेंढर इलाके में 55 वर्षीय रशीदा बी की जान चली गई। जम्मू के आर.एस. पूरा में अशोक कुमार और अतिरिक्त विकास आयुक्त राज कुमार थप्पा की भी मौत हो गई।

पहली बार शहरों में भी तबाही के निशान
अब तक सीमित रहने वाले हमले इस बार शहरी इलाकों तक पहुंच गए। जम्मू के रिहायशी इलाकों जैसे रिहाड़ी, रूपनगर और जानीपुर में भी कई घर और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा। जम्मू निवासी तरुण कुमार ने बताया, “कभी नहीं सोचा था कि जम्मू शहर में इस तरह के मंजर देखने को मिलेंगे, यह पहली बार है जब हम इतने करीब से तबाही देख रहे हैं।”

सीएम ने किया हालात का जायजा
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गोलाबारी से प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “हम हर प्रभावित परिवार के साथ खड़े हैं और मदद देने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।” दौरे के दौरान, जब वे रिहाड़ी कॉलोनी में थे, उसी वक्त दो प्रोजेक्टाइल ऊपर से गुजरे, जिससे सुरक्षा बलों ने उन्हें तुरंत वहां से हटाया।

निशाने पर थे नागरिक और रक्षा ठिकाने
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों में ड्रोन, लूटरिंग म्यूनिशन और आर्टिलरी शेल्स का इस्तेमाल किया गया। सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोगों को रक्षा प्रतिष्ठानों के पास से हटने की सलाह दी गई। कई लोग जब सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे थे, तभी वे हमले की चपेट में आ गए।

बीएसएफ का जवाबी हमला, लॉन्चपैड तबाह
भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने सियालकोट जिले के लूनी इलाके में पाकिस्तान के एक आतंकवादी लॉन्चपैड को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। यह जवाबी हमला शुक्रवार रात को पाकिस्तानी रेंजरों की ओर से की गई फायरिंग के बाद किया गया। बीएसएफ ने बयान जारी कर कहा, “भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए हमारा संकल्प अडिग है।”

लोगों के दिलों में डर और उम्मीद दोनों
इस पूरी स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित हुए वे बुजुर्ग, जो अपने बच्चों को दूर भेज चुके थे। पुंछ निवासी सेवानिवृत्त वन अधिकारी खलील अहमद बांदे ने कहा, “हमने ना जाने कितनी मन्नतें मांगी थीं इस संघर्षविराम के लिए, आज लगता है जैसे दोबारा जी उठे हैं।”

इससे पहले कि संघर्षविराम प्रभावी होता, इस बार के हमलों ने जमीनी हकीकत को एक बार फिर उजागर कर दिया — सरहद पर भले ही कागजों पर शांति की मुहर लगे, लेकिन आम नागरिकों के लिए ये जख्म सालों तक नहीं भरते।

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