CDS अनिल चौहान का खुलासा: कैसे भारत ने दुश्मन की हद में घुसकर रचा नया सैन्य इतिहास

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव में भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ सीमा की सुरक्षा नहीं करता, बल्कि दुश्मन की हद में घुसकर जवाब देने की क्षमता भी रखता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को सिंगापुर में शांग्री-ला डायलॉग के दौरान इस पूरे सैन्य अभियान, जिसे ऑपरेशन सिंदूर के नाम से जाना गया, का विस्तृत ब्यौरा साझा किया।

जनरल चौहान ने बताया कि 7 मई को शुरू हुए इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा में 300 किलोमीटर तक गहराई में घुसकर कई लक्ष्यों पर सटीक हमले किए। उनके मुताबिक, भारतीय बलों ने स्वदेशी और विदेशी दोनों प्रकार के हथियारों का प्रभावी इस्तेमाल किया और पाकिस्तान के एयर डिफेंस को चीरते हुए उसकी रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया।

इस टकराव के दौरान सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फर्जी खबरों और प्रचार का भी भारत को सामना करना पड़ा। जनरल चौहान ने बताया कि कुल ऑपरेशन टाइम का लगभग 15% हिस्सा इन दुष्प्रचारों को काउंटर करने में लगा। भारत की रणनीति थी कि जवाब सटीक और तथ्यों पर आधारित हो, भले ही उसकी गति थोड़ी धीमी हो। दो महिला अधिकारियों ने शुरू में प्रवक्ता की भूमिका निभाई, जबकि सीनियर सैन्य नेतृत्व मैदान में व्यस्त था।

जहां तक हवाई संघर्ष की बात है, जनरल चौहान ने पहली बार आधिकारिक रूप से यह स्वीकार किया कि कुछ भारतीय विमान इस टकराव में मार गिराए गए थे। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान द्वारा छह भारतीय विमानों को गिराने के दावे को “बिल्कुल गलत” करार दिया। उनका कहना था कि “मुद्दा यह नहीं है कि विमान गिरे, असली बात यह है कि वे क्यों गिरे और हमने उनसे क्या सीखा।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने अपनी रणनीति में तेजी से बदलाव किया और कुछ ही दिनों में भारी संख्या में विमान लेकर फिर से पाकिस्तान के भीतर महत्वपूर्ण एयरबेस पर हमले किए।

सीडीएस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पूरे संघर्ष के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की लाइनें खुली थीं और किसी भी स्तर पर परमाणु युद्ध की आशंका नहीं थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को “बेहद बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया” बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध टालने में मदद की थी।

चीन की भूमिका को लेकर भी उन्होंने कहा कि भले ही पाकिस्तान ने चीनी सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया हो, लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि बीजिंग ने पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की रीयल-टाइम टारगेटिंग सपोर्ट दिया हो।

ऑपरेशन सिंदूर की सबसे अहम बात यह थी कि यह एक नॉन-कॉन्टैक्ट और मल्टी-डोमेन वॉर था – जहां केवल मिसाइल और बम नहीं, बल्कि सूचना युद्ध, साइबर डिफेंस और मनोवैज्ञानिक रणनीति का भी गहरा इस्तेमाल हुआ। जनरल चौहान के अनुसार, यह युद्ध भविष्य की लड़ाइयों की झलक देता है, जहां पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ डिजिटल युद्ध भी उतना ही महत्वपूर्ण हो जाएगा।

उन्होंने साफ कहा कि अब भारत ने आतंकवाद और परोक्ष युद्ध के खिलाफ अपनी रेडलाइन खींच दी है। अगर पाकिस्तान की ओर से भविष्य में किसी भी प्रकार की आतंकवादी हरकत होती है, तो भारत “सटीक और निर्णायक” जवाब देगा। फिलहाल 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम लागू हो गया है, लेकिन यह कितना स्थायी रहेगा, यह पाकिस्तान के आचरण पर निर्भर करेगा।

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