
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरण इलाके में हुए भीषण आतंकी हमले ने सिर्फ 26 निर्दोष लोगों की जान नहीं ली, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को भी झकझोर दिया है। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक और सैन्य तनाव अपने चरम पर है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने और सैन्य टकराव से बचने की भावुक अपील की है।
गुटेरेस ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “नागरिकों को निशाना बनाना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। जिम्मेदार लोगों को कानूनन और विश्वसनीय तरीकों से न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि इस नाज़ुक समय में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष “बेहद खतरनाक” साबित हो सकता है।
तनाव की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल को आतंकवादियों ने बैसरण में घूम रहे पर्यटकों पर गोलीबारी की। इस हमले में 26 लोगों की जान गई और 17 घायल हुए। मृतकों में से अधिकांश हिंदू पर्यटक थे, और रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने नाम पूछकर धर्म की पहचान कर टारगेट किया।
इसके तुरंत बाद भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी — सिंधु जल संधि को निलंबित किया, अटारी सीमा से भूमि पारगमन बंद किया, वीज़ा रद्द किए और पाकिस्तान के विमानों के लिए हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया। पाकिस्तान ने भी पलटवार करते हुए कूटनीतिक कदम उठाए, जिसमें शिमला समझौते को “स्थगित” करने की बात कही गई।
UN का हस्तक्षेप
गंभीर हालात को देखते हुए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से “बंद कमरे में चर्चा” की मांग की, जो सोमवार को हुई। हालाँकि, इस चर्चा के बाद कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया।
UN महासचिव गुटेरेस ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “भारत-पाक संबंध वर्षों में सबसे नाजुक मोड़ पर हैं। अब वक्त है कि दोनों देश संयम दिखाएं और उस खाई में गिरने से बचें, जिससे निकलना मुश्किल होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि “सैन्य समाधान कोई समाधान नहीं है”, और संयुक्त राष्ट्र दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया को समर्थन देने के लिए तैयार है।
भारत की तैयारी और प्रतिक्रिया
भारत सरकार भी संभावित सुरक्षा खतरों को देखते हुए सतर्क हो गई है। गृह मंत्रालय ने बुधवार को कई राज्यों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है, जिसमें हवाई हमले की चेतावनी, ब्लैकआउट प्रोटोकॉल, साइट्स को छुपाने की प्रक्रिया और नागरिकों की सुरक्षित निकासी जैसी स्थितियों की प्रैक्टिस की जाएगी।