
भारत की कूटनीतिक कोशिशों को एक बार फिर वैश्विक मंच पर मजबूती मिली है। पनामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए खुलकर समर्थन जताया है। यही नहीं, भारत के आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख को भी पनामा ने पूरी तरह से सही ठहराया है।
पनामा की यात्रा पर पहुँचे भारतीय सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के स्वागत में पनामा के विदेश मंत्री जेवियर मार्टिनेज आचा ने कहा, “भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थान मिलना ही चाहिए।” उन्होंने यह बात कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के समक्ष रखी।
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो क्विंतेरो से मुलाकात में भी भारत को आतंकवाद के खिलाफ मिल रहा समर्थन खुलकर सामने आया। राष्ट्रपति ने न सिर्फ भारत के संघर्ष को समझा, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध उसकी निर्णायक नीति को अपना समर्थन भी दिया। यह मुलाकात पनामा सिटी स्थित राष्ट्रपति भवन में हुई।
पनामा और भारत के रिश्तों पर बोलते हुए आचा ने कहा, “हमारे संबंध लोकतांत्रिक मूल्यों, परस्पर सम्मान और साझा विकास के विज़न पर आधारित हैं। व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है।”
विदेश मंत्री ने भारत को “दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र” बताते हुए उसके वैश्विक प्रभाव और सांस्कृतिक धरोहर की तारीफ की। उन्होंने कहा कि पनामा, जो स्वयं को ‘दुनिया का पुल और ब्रह्मांड का हृदय’ मानता है, भारत के साथ मिलकर वैश्विक संवाद और सहयोग को और आगे बढ़ाना चाहता है।
प्रतिनिधिमंडल ने पनामा विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और एक आम का पौधा भी रोपा। यह कार्यक्रम भारतीय विरासत और पनामा में बसे प्रवासी भारतीयों के लिए भावनात्मक क्षण था।
पनामा की नेशनल असेंबली की अध्यक्ष डाना कास्तानेदा ने भी भारत के प्रति समर्थन जताते हुए कहा, “हमें भारत का संदेश स्पष्ट रूप से समझ में आया है। पनामा शांति की इस मुहिम में भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसका समर्थन करता है।”
भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही संसद में कह चुके हैं कि UNSC की स्थायी सदस्यता भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत G-4 देशों – जापान, जर्मनी और ब्राज़ील – तथा L.69 ग्रुप के साथ मिलकर इस दिशा में लगातार काम कर रहा है।
भारत की इस कूटनीतिक पहल का हिस्सा बन कर पनामा ने न सिर्फ अपनी दोस्ती को मज़बूत किया, बल्कि वैश्विक राजनीति में भारत की दावेदारी को भी नई ऊर्जा दी है।

