भारत ने UNSC में पाकिस्तान की दोहरी नीति को किया बेनकाब

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को उसके “घोर पाखंड” के लिए कटघरे में खड़ा किया है। भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवाथनेनी हरीश ने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि जो देश आतंकियों और आम नागरिकों में फर्क नहीं करता, उसे नागरिकों की सुरक्षा पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

हरीश की यह टिप्पणी उस समय आई जब पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने बहस के दौरान कश्मीर मुद्दे और भारत-पाकिस्तान के हालिया सैन्य संघर्ष का जिक्र किया। इसका जवाब देते हुए भारत ने पाकिस्तान की वर्षों से चली आ रही प्रायोजित आतंकवाद की रणनीति को उजागर किया।

परवाथनेनी हरीश ने साफ शब्दों में कहा कि भारत ने 26/11 के मुंबई हमले से लेकर अप्रैल 2025 में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या तक, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का लंबे समय से सामना किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इन हमलों का मुख्य निशाना हमेशा आम नागरिक रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान का मकसद भारत की तरक्की और आत्मबल को चोट पहुंचाना रहा है।

भारत ने यह भी आरोप लगाया कि हाल ही में हुई चार दिवसीय सैन्य झड़प के दौरान पाकिस्तान की सेना ने जानबूझकर भारत की सीमा से सटे गांवों पर गोलाबारी की, जिसमें 20 से ज्यादा नागरिक मारे गए और 80 से अधिक घायल हुए। इतना ही नहीं, मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों और अस्पतालों जैसे धार्मिक और चिकित्सकीय स्थलों को भी निशाना बनाया गया।

हरीश ने इस संदर्भ में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख किया, जिसमें मारे गए आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तान के वरिष्ठ सरकारी, पुलिस और सैन्य अधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि पाकिस्तान आतंकियों और आम नागरिकों में कोई फर्क नहीं करता।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वह आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो और ऐसे देशों को बेनकाब करे जो आतंक को संरक्षण और समर्थन देते हैं। साथ ही, हरीश ने उभरती तकनीकों के जरिए आतंकियों की बढ़ती क्षमताओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये आम लोगों के लिए नए खतरे बनकर सामने आ रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसके खिलाफ सहयोगात्मक कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि नागरिकों और मानवीय कार्यकर्ताओं पर हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन हैं। ऐसे हमलों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रभावी और ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने मानवता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता और तटस्थता के सिद्धांतों को बनाए रखने की अपील की जो मानवीय सहायता संगठनों की बुनियाद हैं।

यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है और वैश्विक मंचों पर दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी जारी है।

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