
पहल्गाम आतंकी हमले और सफल ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को अस्थायी रूप से निलंबित करने का असर अब पाकिस्तान पर साफ दिखने लगा है। पाकिस्तान ने भारत से औपचारिक अपील की है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे, क्योंकि लाखों लोगों की आजीविका इस जल आपूर्ति पर निर्भर है।
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को एक पत्र लिखा है, जिसे ‘एकतरफा और अवैध’ बताते हुए इसे पाकिस्तान की जनता और अर्थव्यवस्था पर ‘हमला’ करार दिया गया है।
🇮🇳 भारत ने कहा – अब “खून और पानी साथ नहीं बह सकते”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल्गाम हमले के बाद देश को संबोधित करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था –
“आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते। खून और पानी साथ नहीं बह सकते।”
उनके इस बयान के बाद कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने की मंजूरी दी।
📜 संधि का इतिहास और भारत की सख्ती
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से एकमात्र स्थिर सहयोग का प्रतीक रही थी। इस संधि के तहत 6 नदियों का जल विभाजन हुआ — जिनमें से 3 (इंडस, झेलम और चिनाब) का अधिकतर जल पाकिस्तान को मिलता रहा।
भारत को केवल सीमित उपयोग की अनुमति थी, बावजूद इसके भारत ने संधि का सम्मान किया। लेकिन, सूत्रों के अनुसार, “अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं” और पाकिस्तान द्वारा आतंक का निरंतर समर्थन इस संधि की बुनियाद को तोड़ चुका है।
🌊 जल प्रवाह बंद होने से पाकिस्तान में संकट
भारत ने हाल ही में चिनाब नदी पर स्थित बगलीहार और सलाल परियोजनाओं में जलाशयों की फ्लशिंग और सिल्ट सफाई का कार्य किया। इससे पाकिस्तान को पहले ही जल प्रवाह में अनियमितता झेलनी पड़ रही है, और अब बुआई के मौसम से पहले गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है।
भारत अब संधि में मिले अपने हक के अंतर्गत हर बूंद का पूरा उपयोग करने की रणनीति पर काम कर रहा है। जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने कहा –
“भारत ने तीन स्तर की रणनीति बनाई है — अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक — जिससे भारत की भूमि पर गिरने वाला एक भी बूंद पानी व्यर्थ न जाए।”
❗ पाकिस्तान की अपील, लेकिन भारत टस से मस नहीं
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से जो पत्र भारत को मिला है, वह सिंदूर ऑपरेशन के दौरान ही सौंपा गया था। हालांकि भारत ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सरकार के उच्च सूत्रों ने साफ कहा है कि
“यह अपील हमारे निर्णय को प्रभावित नहीं करेगी।”
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा –
“संधि सद्भावना और मित्रता की भावना से बनाई गई थी। लेकिन पाकिस्तान ने इस पर आतंकवाद का समर्थन करके चोट पहुंचाई है। ऐसे में भारत अब उस संधि से बंधा नहीं रह सकता।”
🔍 “परिस्थिति में बदलाव” संधि पर पुनर्विचार का आधार
भारत ने संकेत दिया है कि जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा स्थितियों में आए बदलाव भी संधि के पुनरीक्षण का आधार हैं। संधि में “changed circumstances” की शर्त पहले से मौजूद है, और भारत का मानना है कि आतंकी गतिविधियों और पारिस्थितिक बदलावों के कारण अब इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं रहा।