
भारत ने चीन और तुर्किये को दो टूक संदेश देते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी द्विपक्षीय रिश्ते की बुनियाद आपसी सम्मान, विश्वास और संवेदनशीलता पर टिकी होती है। हालिया सैन्य टकराव—ऑपरेशन सिंदूर—के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए भारत ने दोनों देशों को कड़ी चेतावनी दी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री व विशेष प्रतिनिधि वांग यी के बीच 10 मई को हुई बातचीत में पाकिस्तान से फैल रहे सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को कड़े शब्दों में उठाया था। “चीन को यह साफ बता दिया गया है कि भारत-चीन संबंधों की नींव आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता पर ही टिकी है,” जैसवाल ने कहा।
हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर इसका ज़िक्र नहीं किया, लेकिन सामरिक हलकों में चर्चा है कि चीन ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ रियल-टाइम सैटेलाइट इमेजरी मुहैया कराई थी। यही नहीं, कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को अपना पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट J-20 देने की पेशकश भी की है।
तुर्किये को लेकर भी भारत ने तीखा रुख अपनाया है। जैसवाल ने साफ कहा, “हम तुर्किये से उम्मीद करते हैं कि वह पाकिस्तान पर दबाव डाले कि वह सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे और उस आतंकवादी ढांचे को खत्म करने के लिए ठोस, भरोसेमंद और प्रमाणिक कदम उठाए, जिसे वह दशकों से पालता आ रहा है।”
तुर्किये ने हालिया संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को हथियार और सैन्य सहयोग दिया था। भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, 350 से अधिक ड्रोन और तुर्क सैनिकों ने पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई में सहयोग किया, जिसमें ऑपरेशनल कोऑर्डिनेशन और ड्रोन वॉरफेयर तकनीकें शामिल थीं।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में भारत पर ड्रोन हमले किए थे, जिनमें बायराकतार TB2 और YIHA जैसे तुर्की ड्रोन इस्तेमाल किए गए थे। इनका उपयोग निगरानी, टारगेट मार्किंग और कई बार आत्मघाती हमलों के लिए किया गया।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट “Trends in International Arms Transfers-2024” के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच तुर्की द्वारा किए गए कुल हथियार निर्यात का 10 प्रतिशत पाकिस्तान को गया, जबकि चीन ने अपने कुल हथियारों का 63 प्रतिशत पाकिस्तान को दिया। इस रिपोर्ट में चीन को अमेरिका, फ्रांस और रूस के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बताया गया है।
इस कूटनीतिक सख्ती के ज़रिये भारत ने यह संकेत दे दिया है कि वह अब अपने रणनीतिक हितों को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगा। चाहे वह चीन हो या तुर्किये, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई देश पाकिस्तान जैसे आतंकवाद समर्थक राष्ट्र का साथ देगा, तो उसे द्विपक्षीय संबंधों में भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

