भारत ने यूके के चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के फैसले का स्वागत किया

भारत सरकार ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) के चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के फैसले का स्वागत किया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय की दिशा में एक अहम कदम है, जिससे मॉरीशस की संप्रभुता और अखंडता को मजबूती मिलेगी।

चागोस द्वीप समूह हिंद महासागर में स्थित है और इस पर पिछले कई दशकों से संप्रभुता को लेकर यूके और मॉरीशस के बीच विवाद चल रहा था। 1965 में ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस से अलग कर दिया था और इस पर अपना नियंत्रण जमा लिया था। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) ने 2019 में अपने फैसले में कहा था कि ब्रिटेन को चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंपना चाहिए, क्योंकि इसका अलगाव गैरकानूनी था।

अब यूके सरकार ने इस मामले में अपना रुख बदला है और आधिकारिक तौर पर चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने का फैसला किया है। इस फैसले से मॉरीशस की सरकार और जनता को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि यह उनके लिए ऐतिहासिक न्याय का मामला है।

भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप है। भारत हमेशा से मॉरीशस की संप्रभुता और अखंडता का समर्थन करता आया है और इस फैसले से भारत-मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंध और भी मजबूत होंगे।

इसके साथ ही, भारत सरकार ने यह भी उम्मीद जताई है कि चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से पूरी होगी। भारत ने दुनिया के दूसरे देशों से भी इस फैसले का समर्थन करने का अनुरोध किया है, ताकि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय को मजबूती मिल सके।

इस तरह, भारत ने एक बार फिर अपनी विदेश नीति में अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह फैसला न सिर्फ मॉरीशस के लिए, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है।

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