
नई दिल्ली, 23 मई 2025 — कनाडा में पढ़ाई करने का सपना देख रहे भारतीय छात्रों के लिए अब मुश्किलें बढ़ गई हैं। कनाडा सरकार ने पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं, जिसका सीधा असर भारतीय छात्रों पर पड़ा है। साल 2025 की पहली तिमाही में कनाडा ने भारतीय छात्रों को जारी किए गए स्टडी परमिट की संख्या में 31% की गिरावट दर्ज की गई है
Immigration, Refugees and Citizenship Canada (IRCC) के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2025 के बीच भारतीय छात्रों को केवल 30,640 स्टडी परमिट मिले, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 44,295 परमिट जारी किए गए थे। यह गिरावट सिर्फ भारतीय छात्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि कनाडा ने पूरी दुनिया के लिए स्टडी परमिट की संख्या कम कर दी है। 2024 में जहां 1,21,070 परमिट जारी किए गए थे, वहीं 2025 की पहली तिमाही में यह संख्या घटकर 96,015 रह गई।
इस बदलाव की वजह कनाडा सरकार का हाउसिंग, हेल्थकेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ते दबाव को कम करने का फैसला है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने चुनाव जीतने के बाद साफ किया था कि कनाडा में अस्थायी निवासियों (स्टूडेंट्स और फॉरेन वर्कर्स) की संख्या को 2027 तक 5% से ज्यादा नहीं होने दिया जाएगा।
इसके अलावा, अब स्टडी परमिट के लिए फाइनेंशियल प्रूफ की रकम भी दोगुनी कर दी गई है। अब छात्रों को कम से कम CAD 20,635 (लगभग 12.7 लाख रुपये) दिखाने होंगे, जबकि पहले यह रकम CAD 10,000 (लगभग 8 लाख रुपये) थी। साथ ही, अब हर स्टूडेंट के लिए प्रोविंशियल अटेस्टेशन लेटर भी जरूरी कर दिया गया है, जिससे परमिट प्रोसेस और भी मुश्किल हो गया है4।
इन नए नियमों की वजह से कई छात्रों के परमिट कैंसिल भी हो रहे हैं और उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस भारत लौटना पड़ रहा है2। जो छात्र अपील करना चाहते हैं, उनके लिए भी अब कानूनी प्रक्रिया महंगी और मुश्किल हो गई है।
इस पूरे मामले में भारतीय छात्रों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, क्योंकि कनाडा में पिछले कई सालों से भारतीय छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा रही है। 2023 में कनाडा ने कुल 6,81,155 स्टडी परमिट जारी किए थे, जिनमें से 2,78,045 भारतीय छात्रों को मिले थे। लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर 1,88,465 रह गई।
इस बदलाव से कनाडा के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को भी नुकसान हो रहा है, क्योंकि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की फीस इन संस्थानों के लिए बड़ी आमदनी का सोर्स रही है। पिछले साल इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की फीस से कनाडा को 10 बिलियन कैनेडियन डॉलर से ज्यादा की आमदनी हुई थी।
कुल मिलाकर, कनाडा में पढ़ाई करने का सपना देख रहे भारतीय छात्रों के लिए अब पहले से ज्यादा मुश्किलें आ गई हैं। नए नियम और बढ़ी हुई फाइनेंशियल रकम की वजह से कई छात्र अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए यूके या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तरफ रुख कर रहे हैं।