
हर स्वतंत्रता दिवस पर कुछ न कुछ ऐसा सामने आता है जो न सिर्फ़ प्रतीकात्मक होता है, बल्कि भविष्य की एक झलक भी देता है। इस बार, 15 अगस्त 2025 को, जब देश अपनी 78वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ मना रहा होगा, उसी दिन महिंद्रा एंड महिंद्रा एक नई SUV प्लेटफॉर्म — New Flexible Architecture (NFA) — का अनावरण करने जा रही है। यह एक तकनीकी घोषणा भर नहीं है, बल्कि यह उस दिशा की ओर इशारा है जहाँ भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री अपने अगले दशक की तस्वीर गढ़ने जा रही है।
महिंद्रा का यह NFA प्लेटफॉर्म पारंपरिक पेट्रोल-डीजल इंजन के साथ-साथ हाइब्रिड और पूरी तरह इलेक्ट्रिक पावरट्रेन को भी सपोर्ट करेगा। यह मोनोकॉक स्ट्रक्चर वाला प्लेटफॉर्म न सिर्फ़ लचीलापन दिखाता है, बल्कि उस रणनीतिक सोच का भी प्रतीक है जिसमें ब्रांड खुद को सिर्फ़ SUV निर्माता से आगे बढ़ाकर एक बहु-ऊर्जा युग के अग्रणी के रूप में पेश करना चाहता है।
मैंने यह खबर NDTV Auto और Autocar Professional जैसे ऑटो विशेषज्ञ स्रोतों पर पढ़ी थी, और यह बात स्पष्ट रूप से उभरकर आती है कि महिंद्रा सिर्फ़ नए मॉडल्स नहीं बना रहा — वह एक नई सोच की नींव रख रहा है।
इस नई सोच की पहली झलक संभवतः हमें 2026 में देखने को मिलेगी, जब अगली पीढ़ी की Mahindra Bolero और Bolero EV बाज़ार में आएंगी। ये दोनों ही मॉडल्स NFA प्लेटफॉर्म पर आधारित होंगे, और जाहिर है कि कंपनी का ध्यान अब “mass appeal” वाले मॉडल्स को स्मार्ट टेक्नोलॉजी के साथ पेश करने पर है। यह एक तरह से ब्रांड की उस जड़ों से जुड़ाव को भी दर्शाता है जो भारतीय कस्बों और गांवों में आज भी Bolero को पसंद करते हैं, और साथ ही उस शहरी, तकनीक-प्रेमी ग्राहक वर्ग को भी आकर्षित करता है जो EVs की ओर रुख कर रहा है।
महिंद्रा का नया चाकण प्लांट इस प्लेटफॉर्म पर हर साल करीब 1.2 लाख यूनिट्स का उत्पादन करेगा, और FY2028 तक एक नया ग्रीनफील्ड प्लांट स्थापित करने की योजना भी बना चुका है। यह केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह विश्वास का प्रतीक है — विश्वास इस बात पर कि आने वाला समय SUV का नहीं, स्मार्ट SUV का है।
2030 तक कंपनी 9 नए ICE और 7 EV मॉडल्स लाने का लक्ष्य रखे हुए है, जिसमें से कुछ लॉन्च पहले ही हो चुके हैं जैसे XUV 3XO और Thar Roxx। लेकिन जो 12 नए मॉडल आने बाकी हैं, वे NFA जैसे प्लेटफॉर्म के बिना संभव ही नहीं होते।
आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो, ऑटोमोटिव उद्योग सिर्फ़ डिज़ाइन या माइलेज की होड़ नहीं रहा, बल्कि अब यह बहुआयामी मंच बन चुका है — जहाँ पर्यावरण, तकनीक, उपयोगकर्ता अनुभव और टिकाऊ उत्पादन के बीच संतुलन साधना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में NFA एक उत्तर की तरह सामने आता है — एक ऐसा उत्तर जो लचीला है, आधुनिक है और भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप है।