खरगे का तीखा वार: “151 विदेश यात्राओं के बाद भी देश अकेला खड़ा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को तीखा हमला बोलते हुए पूछा कि क्या 151 विदेश यात्राओं के बाद भी भारत का अकेला पड़ जाना विदेश नीति की सफलता है?

खरगे ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में पीएम मोदी ने 72 देशों के 151 दौरे किए, जिनमें अमेरिका के 10 दौरे भी शामिल हैं, लेकिन जब भारत को वैश्विक समर्थन की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, खासकर पाकिस्तान को बेनकाब करने के मामले में, तब कोई भी देश हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ।

“प्रधानमंत्री का काम क्या सिर्फ विदेशों में जाकर फोटो खिंचवाना रह गया है?” — मल्लिकार्जुन खरगे

IMF की पाकिस्तान को बेलआउट और ट्रंप की मध्यस्थता का दावा

खरगे ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को भी उठाया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम उनकी ‘ब्रोकरिंग’ की वजह से हुआ। उन्होंने सवाल उठाया कि मोदी सरकार ने अब तक इस पर कोई स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया?

“अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया। उन्होंने यह दावा सात बार दोहराया, और मोदी जी अभी भी चुप हैं।”

इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा हाल ही में मिले $1.4 बिलियन के बेलआउट लोन को भी भारत की विदेश नीति की विफलता बताया। उन्होंने कहा कि IMF का यह फैसला उस समय आया जब भारत आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन की उम्मीद कर रहा था।

पहलगाम हमले पर भी सरकार को घेरा

खरगे ने हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई, और सरकार की विफलता थी कि उसने समय रहते पर्यटकों को कोई चेतावनी नहीं दी।

“सरकार ने पहलगाम में खतरे की चेतावनी क्यों नहीं दी? अगर चेतावनी दी गई होती, तो शायद जानें बचाई जा सकती थीं।”

विपक्ष का रुख: समर्थन के बाद सवाल

खरगे ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई के समय सरकार का समर्थन किया था, लेकिन अब जब मामले का नतीजा देश के पक्ष में नहीं दिख रहा, तब सवाल पूछना ज़रूरी है।

“देश आतंकियों के खिलाफ एकजुट था, लेकिन अब जब पाकिस्तान से संघर्षविराम हो गया है, वो भी अमेरिका के दावे के साथ, तब प्रधानमंत्री की चुप्पी चिंता का विषय है।”

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