
नन्हे बच्चे की मुस्कान से लेकर रात-रात जागने तक – एक नई माँ का जीवन अनेक अनुभवों से भरा होता है। मातृत्व के साथ कोई गाइडबुक नहीं आती! हर माँ अलग होती है, हर माँ की अपनी यूनिक पेरेंटिंग स्टाइल होती है, फिर भी एक बात सभी में कॉमन रहती है – अपने बच्चे के लिए लगातार चिंता करना!
मातृत्व की यात्रा में महिलाएँ अक्सर खुद को, अपनी ज़रूरतों को और अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन बनाने की अपनी क्षमता को भूल जाती हैं। एक रिसेंट इंटरव्यू में सर्टिफाइड एक्सप्रेसिव आर्ट थेरेपिस्ट और तुला जर्नी की फाउंडर गुंजन आदित्य ने बताया, “जब हम अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहे होते हैं, तो अपना खयाल रखना बेहद ज़रूरी है। जबकि हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं, हम भी उनके साथ बढ़ रहे हैं, और दोनों का सुंदर तरीके से विकसित होना महत्वपूर्ण है।”
मैंने लाइफस्टाइल मैगज़ीन में पढ़ा था कि नए माता-पिता के लिए, विशेषकर माताओं के लिए, बच्चे के जन्म के बाद का पहला साल बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इसमें शारीरिक थकान के साथ-साथ इमोशनल अप्स एंड डाउन्स भी शामिल होते हैं। लेकिन कुछ सेल्फ-केयर हैबिट्स अपनाकर इस समय को और अधिक संतुलित और आनंददायक बनाया जा सकता है।
आइए जानते हैं वो 8 थेरेपिस्ट अप्रूव्ड हैबिट्स जो नई माताओं के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं:
1. अपने आप पर कठोर न हों
नई माँ बनना निश्चित रूप से थकाऊ हो सकता है। कभी यह महसूस न करें कि आप पर्याप्त नहीं कर रही हैं। यहां तक कि जब आपके बच्चे बड़े हो जाएंगे, तब भी ऐसे दिन आएंगे जब आप खुद से सवाल करेंगी कि क्या आप उन्हें अच्छी तरह से पाल रही हैं। बस इस बात का विश्वास रखें कि आप हमेशा अपने बच्चों को अपना सर्वश्रेष्ठ दे रही हैं।
2. अपने पेरेंटिंग स्किल्स की तुलना किसी और से न करें
हर माँ और बच्चे का रिश्ता खूबसूरती से अलग होता है और इसका सम्मान करना चाहिए। एक माँ की अंतर्ज्ञान सबसे मज़बूत होती है और वह जानती है कि उसके बच्चे के लिए क्या सबसे अच्छा है। इसलिए जब बात आपके बच्चों की हो, तो हमेशा अपनी अंतर्ज्ञान के साथ तालमेल बिठाएं।
3. जर्नलिंग के लिए समय निकालें
मातृत्व जितना पुरस्कृत करने वाला है, उतना ही एनर्जी ड्रेन करने वाला भी हो सकता है। कभी-कभी, एक नई माँ जिन भावनाओं के समुद्र से गुजरती है, उसका कारण समझ में नहीं आता। जर्नलिंग इन मानसिक उलझनों को सुलझाने में मदद करती है। अपनी भावनाओं को बिना किसी जज्मेंट के खोलने में जर्नलिंग सहायता करती है।
4. सपोर्ट मांगने में हिचकिचाएं नहीं
महिलाएं अक्सर महसूस करती हैं कि वे सब कुछ कर सकती हैं, और हाँ, हममें से अधिकांश कर सकती हैं, लेकिन अपने बच्चे की देखभाल के लिए मदद मांगना एक ग्रेट आइडिया है। चाहे आपकी मां आपकी मदद करने आए या कोई फ्रेंडली नेबर, आपके बच्चे के लिए केयरगिवर्स का एक सपोर्ट सिस्टम बनाना महत्वपूर्ण है।
5. खुद को पैंपर करें
आपने एक नए जीवन को जन्म दिया है। हां, हर माँ ने ऐसा किया है, लेकिन यह कोई छोटी बात नहीं है। महिलाएं अपनी सारी ताकत के साथ एक नए इंसान को इस दुनिया में लाती हैं। यह लगभग एक महिला के लिए पुनर्जन्म जैसा है। एक जीवन जो उसके मांस और रक्त से बना है। प्रसव आपको थका सकता है और इससे उबरने में महीनों लग सकते हैं। अपने आप को ठीक होने का समय देना चाहिए। एक हेड मसाज, अपनी नींद पूरी करना या कुछ हंसी के लिए किसी दोस्त से मिलना – ये कुछ तरीके हैं जिनसे आप रिलैक्स हो सकती हैं।
6. रूटीन बनाएं, लेकिन फ्लेक्सिबल रहें
मेरी बातचीत चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. मीना शर्मा से हुई, जिन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं के लिए एक रूटीन बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है उस रूटीन में फ्लेक्सिबिलिटी। “बच्चे के स्वभाव को समझें और उसी अनुसार एक ढीला-ढाला शेड्यूल बनाएं। कभी-कभी आपको अपने प्लान से हटना पड़ सकता है, और यह बिल्कुल ठीक है,” उन्होंने कहा।
7. माइंडफुलनेस और श्वास व्यायाम का अभ्यास करें
नई माताओं के लिए तनाव और चिंता आम बात है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रोजाना सिर्फ 5-10 मिनट के माइंडफुलनेस एक्सरसाइज से स्ट्रेस लेवल कम करने में मदद मिल सकती है। गहरी सांस लेना, ध्यान करना या बस वर्तमान पल में रहने की कोशिश करना – ये छोटे-छोटे अभ्यास आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
8. कम्युनिटी से जुड़ें
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, जो माताएं अन्य नई माताओं के साथ जुड़ती हैं और अपने अनुभव शेयर करती हैं, वे कम अकेलापन महसूस करती हैं और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा भी कम होता है। मॉम्स ग्रुप्स, ऑनलाइन फोरम्स या लोकल पेरेंटिंग क्लासेज – इन जगहों पर आप समान विचारधारा वाले लोगों से मिल सकती हैं और अपने अनुभव साझा कर सकती हैं।
याद रखें, मातृत्व एक बहुत ही व्यक्तिगत यात्रा है और हर माँ की अपनी यूनिक चुनौतियां और खुशियां होती हैं। अपने आप को वक्त दें, अपनी ज़रूरतों का ख्याल रखें, और बच्चे के साथ-साथ खुद के विकास पर भी ध्यान दें। क्योंकि जब आप खुश और स्वस्थ होंगी, तभी आप अपने बच्चे को भी वही दे पाएंगी।
पाठकों के लिए नोट: यह आर्टिकल केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और व्यावसायिक चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी मेडिकल कंडीशन के बारे में प्रश्नों के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।