कांग्रेस का सवाल: ऑपरेशन सिंदूर पर CDS जनरल चौहान के खुलासे संसद में क्यों नहीं हुए?

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना को हुए नुकसान की आधिकारिक पुष्टि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान द्वारा सिंगापुर में किए गए खुलासे के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा सवाल उठाया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ऐसी संवेदनशील जानकारी संसद या विपक्षी नेताओं के साथ साझा की जानी चाहिए थी, न कि अंतरराष्ट्रीय मंच से।

जनरल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग के दौरान ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में बताया कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआती कार्रवाई में भारतीय लड़ाकू विमानों को नुकसान हुआ, लेकिन बाद में भारत ने रणनीति में बदलाव कर पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर गहरे हमले किए।

जयराम रमेश ने ANI से कहा, “अगर देश के CDS ऐसी बातें सिंगापुर में कह रहे हैं, तो यह पहले संसद में क्यों नहीं आया? रक्षा मंत्री ने दो सर्वदलीय बैठकों की अध्यक्षता की, तब यह जानकारी विपक्ष से साझा क्यों नहीं की गई?”

उन्होंने कर्गिल युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा बनाई गई कर्गिल रिव्यू कमेटी का उदाहरण देते हुए कहा, “कर्गिल युद्ध के सिर्फ तीन दिन बाद कमेटी बना दी गई थी। उसी तरह आज भी एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बननी चाहिए जो ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा करे।”

जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय वायुसेना के छह विमानों को मार गिराने का दावा “पूरी तरह गलत” है। उन्होंने कहा, “संख्या नहीं, बल्कि ये नुकसान क्यों हुए – यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। हमने अपनी रणनीति को सुधारा और 7, 8 और 10 मई को प्रभावशाली तरीके से पाकिस्तान के भीतर गहरे हमले किए।”

सैटेलाइट तस्वीरों और अन्य स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार भारत ने इस अभियान में पाकिस्तानी आतंक ठिकानों और सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदमपुर एयरबेस से दिए अपने भाषण में 10 मई की कार्रवाई को “नई सुबह की शुरुआत” बताया।

रमेश ने इस पूरे मामले में पारदर्शिता की कमी की आलोचना करते हुए कहा, “हम दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र हैं, लेकिन हमें अपने सशस्त्र बलों के बारे में जानकारी सिंगापुर से क्यों मिल रही है? प्रधानमंत्री को विपक्ष के साथ बैठक कर इस पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए थी।”

उन्होंने चीन-पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य सहयोग को भी इस मुद्दे का अहम पहलू बताया और मांग की कि इस पर संसद में विशेष सत्र बुलाया जाए।

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