
“भय बिनु होइ न प्रीति” – जब भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस वार्ता के दौरान यह चौपाई सुनाई, तो पत्रकारों की सभा में सन्नाटा छा गया और फिर तालियों की गूंज उठी। यह रामचरितमानस की वही चौपाई है जो दर्शाती है कि विनम्रता की भी एक सीमा होती है — और जब सीमा टूटती है, तो संकल्प और शक्ति की आवश्यकता होती है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव और उसके बाद आए राजनीतिक और कूटनीतिक संकेतों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब आतंक के खिलाफ पहले जैसी ‘संयम नीति’ नहीं अपनाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “यह अब भारत की नई नीति है – ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक नया सामान्य है।”
📍 ‘शब्द नहीं, अब शस्त्र की भाषा’
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब ‘बातचीत और आतंक’ साथ नहीं चल सकते, न ही ‘रक्त और पानी’ एक साथ बह सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की ‘परमाणु ब्लैकमेलिंग’ अब भारत को नहीं डरा सकती। “हर आतंकी हमले का जवाब अब हमारे तरीके से, हमारे समय पर और निर्णायक रूप से मिलेगा,” उन्होंने कहा।
ऑपरेशन सिंदूर, जो 7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, ने पाकिस्तान के भीतर नौ बड़े आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। यह हमला उस समय हुआ जब 26 लोगों को गोली मार दी गई थी — जिनमें से 24 हिंदू पर्यटक थे।
🛡️ कविता, चेतावनी और शक्ति का संगम
सेना की संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान जो दृश्य प्रस्तुत किया गया वह न सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, बल्कि उसमें सांस्कृतिक और भावनात्मक संदेश भी समाहित था। प्रेस ब्रीफिंग की शुरुआत भगवान शिव को समर्पित ‘शिव तांडव स्तोत्र’ से हुई। इसके बाद रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की प्रसिद्ध कविता ‘कृष्ण की चेतावनी’ का जोशीला रॉक वर्जन — “याचना नहीं अब रण होगा” — वीडियो फुटेज के साथ चलाया गया जिसमें भारतीय सेनाओं की तैयारियों की झलक थी।
ये कविताएं सिर्फ साहित्य नहीं थीं — ये चेतावनियाँ थीं। पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे, मिसाइल की तबाही, और भारतीय सैन्य उपकरणों की शक्ति इन शब्दों के साथ मिलकर एक स्पष्ट संदेश दे रहे थे: अब चुप नहीं बैठेंगे।
⚔️ मोदी का संदेश: शक्ति से ही शांति का मार्ग
बुद्ध पूर्णिमा के दिन दिए गए भाषण में पीएम मोदी ने बुद्ध का हवाला देते हुए कहा, “शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर ही जाता है।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि अगर वह जिंदा रहना चाहता है, तो उसे आतंक का रास्ता छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि मुरिदके और बहावलपुर जैसे ठिकाने, जो आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय हैं, अब भारत के निशाने पर हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत अब सिर्फ दो विषयों पर ही होगी — आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK)।
🚀 ‘मेड इन इंडिया’ का प्रदर्शन
मोदी ने इस ऑपरेशन को भारतीय रक्षा उत्पादन के लिए भी मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उपयोग हुए हथियार और तकनीकें ‘मेड इन इंडिया’ थीं और उन्होंने 21वीं सदी के युद्ध में भारत की ताकत को साबित किया।
🌐 विश्व समुदाय के लिए संदेश
मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को किनारे किया जिसमें उन्होंने संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका का उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम भारत के सैन्य दबाव के बाद पाकिस्तान की अपील पर हुआ और यह एक “पॉज” है, पूर्ण विराम नहीं।
🔚 एक चौपाई, एक नीति, एक संदेश
जब एयर मार्शल भारती ने यह कहा, “एक संकेत बुद्धिमान के लिए काफी है,” तो उन्होंने सिर्फ रामचरितमानस की चौपाई नहीं दोहराई, बल्कि भारत की बदलती सैन्य नीति की आधारशिला रख दी।
‘भय बिन होइ न प्रीति’ — भारत अब यह स्पष्ट कर चुका है कि शांति की बात वह तभी करेगा जब दूसरी ओर से भय और सम्मान दोनों मौजूद हों।