
‘ऑपरेशन सिंदूर’ — एक नाम जिसने न सिर्फ आतंक के खिलाफ भारत की सैन्य नीति में निर्णायक मोड़ लाया, बल्कि घरेलू राजनीति में भी एक नई बहस को जन्म दे दिया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों और सरकार के जवाब के बीच अब एक सियासी टकराव भी देखने को मिल रहा है।
7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया। इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के ऑपरेशनल ठिकानों को तबाह किया गया। भारत ने पहली बार पाकिस्तान के आंतरिक क्षेत्रों — जिनमें बहावलपुर जैसे संवेदनशील इलाके भी शामिल हैं — तक सैन्य कार्रवाई की, जो अब तक अमेरिकी ड्रोन तक से भी अछूते रहे थे।
लेकिन इस अभूतपूर्व कार्रवाई के बाद सियासत गरमा गई है।
राहुल गांधी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा किया जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर कथित रूप से यह कह रहे हैं कि भारत ने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को जानकारी दी थी। गांधी ने इसे “अपराध” करार देते हुए पूछा कि “इसकी वजह से भारतीय वायुसेना को कितने विमान गंवाने पड़े?”
हालांकि, भारत सरकार की फैक्ट-चेक इकाई PIB ने इस वीडियो को फर्जी और गढ़ा हुआ बताया है। सरकार का कहना है कि जयशंकर के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
विदेश मंत्री ने दरअसल यह स्पष्ट किया था कि ऑपरेशन शुरू होने के बाद, भारत ने पाकिस्तान को यह संदेश भेजा कि हम केवल आतंक के ठिकानों को निशाना बना रहे हैं, सेना को नहीं। उनका कहना था कि पाकिस्तानी सेना चाहती तो इस कार्रवाई से खुद को अलग रख सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
इसके पीछे सैन्य रणनीति भी स्पष्ट है। भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि पाकिस्तान को सीधे संपर्क कर यह कहा गया कि हम केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बना रहे हैं और यदि पाकिस्तान बातचीत चाहता है तो भारत तैयार है। इसके बावजूद पाकिस्तान की तरफ से ‘कड़ी प्रतिक्रिया’ की चेतावनी दी गई।
जहां तक भारतीय वायुसेना को नुकसान की बात है, 11 मई को एक प्रेस वार्ता में वायुसेना के डीजी ऑपरेशंस एयर मार्शल ए.के. भारती ने यह कहने से इनकार किया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में कोई विमान खोया है या नहीं। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि सभी पायलट सुरक्षित वापस लौटे हैं और ऑपरेशन के सभी तय लक्ष्य पूरे किए गए हैं।
इस बीच सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो और तस्वीरें फैल रही हैं, जिन्हें सरकार एक-एक कर खारिज कर रही है।
दरअसल, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न सिर्फ सैन्य रणनीति का प्रतीक बन गया है, बल्कि यह दिखाता है कि आतंक के खिलाफ भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक और आक्रामक नीति अपनाने के लिए तैयार है। पर यह भी उतना ही स्पष्ट है कि इस सैन्य सफलता को लेकर देश के भीतर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई भी उतनी ही तीव्र हो गई है।

