ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी बनाम सरकार: क्या सच है और क्या राजनीतिक हथकंडा?

ऑपरेशन सिंदूर के सफल सैन्य अभियान के बाद अब देश के राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर लगाए गए आरोपों को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। सवाल यह है — क्या भारत ने सच में पाकिस्तान को हमले से पहले आगाह किया था, या ये बयान राजनीतिक रूप से तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है?

राहुल गांधी ने एक वीडियो साझा कर दावा किया कि विदेश मंत्री जयशंकर ने खुद माना है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से पहले ही पाकिस्तान को सूचित कर दिया था। इसे उन्होंने “अपराध” बताया और पूछा, “किसने इसकी अनुमति दी? क्या हमारी वायुसेना को इसकी कीमत चुकानी पड़ी?”

इसके जवाब में विदेश मंत्रालय ने कड़ा खंडन करते हुए कहा कि राहुल गांधी के आरोप “तथ्यों की घोर गलत प्रस्तुति” हैं। मंत्रालय के एक्सटर्नल पब्लिसिटी डिवीजन ने स्पष्ट किया कि जयशंकर का आशय था कि ऑपरेशन की शुरुआत के बाद, पाकिस्तान को बताया गया कि भारत केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बना रहा है, न कि पाकिस्तानी सेना को। इसका उद्देश्य था सैन्य टकराव से बचना, न कि पहले से सूचना देकर कार्रवाई को कमजोर करना।

विदेश मंत्री का बयान था:
“ऑपरेशन के शुरुआती चरण में हमने पाकिस्तान को संदेश दिया कि हम आतंकवादी ढांचे को निशाना बना रहे हैं, सेना को नहीं। उनके पास विकल्प था कि हस्तक्षेप न करें। उन्होंने उस सलाह को नजरअंदाज किया।”

सरकारी फैक्ट-चेकिंग एजेंसी PIB ने भी वीडियो को “भ्रामक” करार देते हुए कहा कि जयशंकर को गलत रूप से उद्धृत किया गया है।

लेकिन राहुल गांधी ही नहीं, कांग्रेस की केरल इकाई ने भी वही वीडियो शेयर कर केंद्र से जवाब मांगा। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए राहुल गांधी को “पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा टूल” कह दिया। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी और IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल पर “झूठ फैलाने” और “सेना के मनोबल को तोड़ने” का आरोप लगाया।

प्रेस वार्ता में डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पहले ही स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान को संपर्क कर बताया गया कि हमला केवल आतंक पर केंद्रित है और भारत टकराव नहीं चाहता। पर पाकिस्तान ने इसे नकारते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

स्पष्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर के सैन्य उद्देश्यों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते — नौ आतंकी शिविर ध्वस्त हुए, सभी पायलट सुरक्षित लौटे और भारत ने आतंकी ढांचे पर निर्णायक हमला किया। पर इस पूरे अभियान को लेकर जारी राजनीतिक बयानबाजी अब इस सैन्य सफलता की आड़ में सियासी मोहरे सजाने का माध्यम बनती जा रही है।

सवाल यह भी है — क्या ऐसे बयान और विडियो क्लिप देश की सुरक्षा रणनीति को राजनीतिक अखाड़ा बना रहे हैं?

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