राहुल गांधी का बड़ा आरोप: महाराष्ट्र चुनाव था ‘मैच फिक्सिंग’ का प्लान!

कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर बीजेपी और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। शनिवार को उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ा दावा करते हुए कहा कि यह चुनाव पूरी तरह से “रिग्ड” यानी फिक्स था। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपना एक लेख साझा करते हुए इसे “लोकतंत्र को ठगने की पूरी ब्लूप्रिंट” बताया।

राहुल गांधी के अनुसार, यह सिर्फ मामूली हेराफेरी नहीं थी, बल्कि बड़े पैमाने पर की गई गड़बड़ी थी जिसमें भारत की संवैधानिक संस्थाओं को भी निशाना बनाया गया। उन्होंने लिखा – “पहले चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया को ही अपने पक्ष में सेट कर लो, फिर फर्जी वोटर जोड़ो, फिर वोटिंग प्रतिशत बढ़ाओ, और आखिर में सबूत छिपा दो।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र में जो हुआ, वही अगला कदम बिहार में दोहराया जाएगा और जहां-जहां बीजेपी को हार का डर है, वहां यही तरीका अपनाया जाएगा। राहुल ने अपने लेख में कहा, “मैच फिक्सिंग से भले ही मैच जीत जाओ, लेकिन संस्थाएं और जनता का भरोसा दोनों टूटते हैं।”

वहीं, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को पूरी तरह से निराधार और भ्रामक बताया है। आयोग के अधिकारियों ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और स्पष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि महाराष्ट्र में एक लाख से ज्यादा बूथ लेवल अधिकारी, जिनमें कांग्रेस के हज़ारों एजेंट शामिल थे, पूरे प्रक्रिया का हिस्सा थे और सिर्फ 89 अपीलें ही दर्ज की गईं।

बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए नेता तुहिन सिन्हा ने राहुल गांधी पर “संस्थाओं को बदनाम करने की आदत” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर बार हारने के बाद राहुल गांधी चुनाव आयोग पर सवाल उठाकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की ओर से आए ‘अनसाइन्ड’ और ‘गोलमोल’ जवाबों पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि अगर कुछ छिपाने को नहीं है तो सभी राज्यों के लिए डिजिटल, मशीन-रीडेबल वोटर रोल्स सार्वजनिक किए जाएं और महाराष्ट्र के सभी बूथों की शाम 5 बजे के बाद की सीसीटीवी फुटेज रिलीज़ की जाए।

कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि महज पांच महीनों में महाराष्ट्र में 41 लाख नए वोटर कैसे जुड़ गए जबकि बीते पांच सालों में सिर्फ 31 लाख नए वोटर जोड़े गए थे। पार्टी ने इसे “संस्थागत स्तर पर हेराफेरी” का संकेत बताया।

हालांकि, चुनाव आयोग के मुताबिक, देर शाम तक मतदान तेज़ होना सामान्य है और आंकड़ों में किसी तरह की असामान्यता नहीं है। लेकिन राहुल गांधी का कहना है कि “सवाल पूछना लोकतंत्र की आत्मा है और इन सवालों के जवाब देना चुनाव आयोग का कर्तव्य।”

इस पूरे विवाद से एक बात तो साफ है – देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लेकर भरोसे और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह बहस सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले चुनावों की साख पर भी असर डाल सकती है।

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