शरद पवार ने केंद्र से पूछा – अमेरिका को भारत-पाक विवाद में क्यों दी मध्यस्थता की भूमिका?

एनसीपी (एसपी) प्रमुख और पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किया है कि भारत-पाक तनाव के बीच अमेरिका को तीसरे पक्ष के रूप में मध्यस्थता का अवसर क्यों दिया गया, जबकि शिमला समझौता स्पष्ट रूप से दो देशों के बीच सभी मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने की बात करता है।

पवार का बयान उस वक्त आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को ट्वीट कर भारत और पाकिस्तान के बीच “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” की घोषणा की थी और इसे अमेरिका की मध्यस्थता का नतीजा बताया था।

‘अमेरिकी हस्तक्षेप ठीक नहीं, शिमला समझौते का उल्लंघन’

शरद पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,

“शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच हुआ एक विशेष समझौता है, जिसमें यह तय है कि किसी तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति का सार्वजनिक रूप से इस विषय पर बोलना भारत की आंतरिक नीति में हस्तक्षेप है। केंद्र को इसका जवाब देना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि पहली बार किसी अमेरिकी अधिकारी ने भारत के आंतरिक मामलों पर सार्वजनिक रूप से बयान दिया है, जो चिंताजनक है।

ऑपरेशन सिंदूर और विपक्ष की मांग पर पवार का रुख

ऑपरेशन सिंदूर, जो कि 6-7 मई की रात को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू हुआ था, को लेकर विपक्ष की ओर से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई है। लेकिन पवार ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि “यह एक संवेदनशील विषय है, जिसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की जा सकती।”

पवार ने सुझाव दिया कि इस मुद्दे पर विशेष सत्र की बजाय सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए ताकि विपक्ष को विश्वास में लिया जा सके लेकिन गोपनीयता भी बनी रहे।

“मैं विशेष सत्र के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन इस तरह के सैन्य मामलों में सब कुछ सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। जब मैं रक्षा मंत्री था, तब भी कुछ बातें केवल गिने-चुने लोगों को बताई जाती थीं।”

पाकिस्तान को दिया गया करारा जवाब

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। पाकिस्तान की ओर से भारतीय सैन्य ठिकानों पर की गई जवाबी कोशिशों को भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहिम यार खान, सक्कर और चुनीयन जैसे सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया।

ट्रंप की घोषणा और भारत की चुप्पी पर सवाल

ट्रंप द्वारा घोषित युद्धविराम के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसकी पुष्टि तो की, लेकिन अमेरिकी भूमिका पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई। इसी चुप्पी पर पवार ने सवाल उठाया कि

“जब दो देशों के बीच द्विपक्षीय समझौता है, तो तीसरे देश को इसमें जगह कैसे मिली?”

‘अब देखना है प्रधानमंत्री क्या कहते हैं’

जब पत्रकारों ने पवार से प्रधानमंत्री मोदी के रात 8 बजे होने वाले संबोधन पर प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा,

“देखते हैं प्रधानमंत्री क्या कहते हैं। उम्मीद है कि वे इस विषय में स्पष्टता लाएंगे।”

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