सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद केंद्र ने वापस लिया 4PM न्यूज़ नेटवर्क को ब्लॉक करने का आदेश

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को सूचित किया गया कि केंद्र सरकार ने यूट्यूब चैनल 4PM न्यूज़ नेटवर्क को ब्लॉक करने का आदेश वापस ले लिया है। यह जानकारी पत्रकार संजय शर्मा की याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई, जिन्होंने “राष्ट्रीय सुरक्षा” और “सार्वजनिक व्यवस्था” के आधार पर अपने चैनल पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी थी।

शीर्ष अदालत की जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जहां वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश होकर बताया कि अब चूंकि ब्लॉकिंग आदेश हटा लिया गया है, इसलिए अंतरिम राहत की मांग अब प्रासंगिक नहीं रह गई।

IT नियमों की संवैधानिक वैधता पर बहस

हालांकि सिब्बल ने याचिका में की गई उस मुख्य मांग को दोहराया जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (Blocking) नियम, 2009 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, खासकर नियम 8, 9 और 16 को। याचिका में कहा गया है कि ये नियम बिना नोटिस या सुनवाई के सूचना को ब्लॉक करने की अनुमति देते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(a), और 21 का उल्लंघन है।

नियम 16 विशेष रूप से विवाद में है, जो कहता है कि सरकार द्वारा ब्लॉकिंग आदेशों और शिकायतों को गोपनीय रखा जाएगा। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस नियम को खत्म किया जाए या इसे इस तरह पढ़ा जाए जिससे कंटेंट बनाने वाले को आदेश की कॉपी, नोटिस और सुनवाई का पूरा मौका मिले।

“राष्ट्रीय सुरक्षा” कोई छूट नहीं: याचिका

संजय शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि “राष्ट्रीय सुरक्षा” और “सार्वजनिक व्यवस्था” जैसे शब्दों का केवल उल्लेख करके सरकार जवाबदेही से नहीं बच सकती। ये शब्द भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(2) में वैध आधार जरूर हैं, लेकिन इनका प्रयोग तर्कसंगतता और अनुपातिकता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए।

याचिका में यह भी कहा गया है कि ब्लॉकिंग का आदेश या इससे जुड़ी शिकायत याचिकाकर्ता को नहीं दी गई, जो कि न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। बिना किसी अवसर के कंटेंट को हटाना या चैनल को ब्लॉक करना लोकतांत्रिक जवाबदेही और प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है

याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ जोड़ा गया

सुप्रीम कोर्ट ने अब इस याचिका को IT नियमों को चुनौती देने वाली अन्य लंबित याचिकाओं के साथ टैग कर दिया है। इससे पहले 5 मई को शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय और यूट्यूब से जवाब मांगा था।

संपादकों की संस्था ने भी जताई चिंता

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस मामले में एक प्रेस बयान जारी कर सरकार की कार्यवाही को “अंधाधुंध कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग” बताया। गिल्ड ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को स्वतंत्र पत्रकारिता और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को चुप कराने का बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने ऐसी कार्यवाही के लिए पारदर्शी और उत्तरदायी प्रक्रिया की मांग दोहराई।

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