
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई आर्थिक योजना “वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट (OBBBA)” ने अमेरिका में राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस बिल के तहत प्रस्तावित 3.5% रेमिटेंस टैक्स ने खासकर भारतीय प्रवासियों में चिंता बढ़ा दी है। यह टैक्स अमेरिका से भारत भेजे जाने वाले व्यक्तिगत फंड ट्रांसफर पर लागू होगा, जिससे भारत को प्रतिवर्ष मिलने वाली अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा पर प्रभाव पड़ सकता है।
बिल को लेकर एलन मस्क ने भी तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे “घिनौना और शर्मनाक” बिल बताया, और कहा कि यह बिल अमेरिका की वित्तीय संरचना को नुकसान पहुंचाएगा।
प्रस्तावित टैक्स का असर: भारत को सालाना $12-18 अरब का नुकसान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को कुल $118.7 बिलियन प्राप्त हुए, जिसमें 27.7% यानी लगभग $32.9 बिलियन अमेरिका से आए थे। अगर 3.5% टैक्स लागू होता है, तो भारतीय प्रवासियों को हर $10,000 के ट्रांसफर पर $350 अतिरिक्त खर्च करने होंगे।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, रेमिटेंस में 10-15% की गिरावट भारत को $12-18 बिलियन तक का नुकसान पहुंचा सकती है। इससे न केवल भारत की विदेशी मुद्रा स्थिति कमजोर होगी, बल्कि रुपया पर भी दबाव बढ़ सकता है।
प्रवासी भारतीयों के लिए रणनीतिक चुनौतियां
नया टैक्स खासकर H-1B, L-1 वीज़ा धारकों और ग्रीन कार्ड धारकों पर असर डालेगा। ये वे वर्ग हैं जो नियमित रूप से भारत में अपने परिवारों को पैसे भेजते हैं या भारत में संपत्ति और निवेश करते हैं।
वित्तीय सलाहकारों का सुझाव है कि NRIs को 2026 से पहले की सभी रेमिटेंस को 2025 में ही भेज देना चाहिए ताकि टैक्स बचाया जा सके। कुछ सलाहकारों ने ऑफशोर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग कंपनियां बनाने या विदेशी खातों के माध्यम से धन ट्रांसफर करने की बात भी कही है।
हालांकि, बिल में टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था भी की गई है, परंतु विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका लाभ केवल उच्च आय वाले लोगों को ही मिलेगा।
भारत में गूंज: गांवों की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव संभव
भारत में लाखों परिवार रेमिटेंस पर निर्भर हैं। कई गांवों की आजीविका प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजे गए धन से चलती है। यदि यह स्रोत प्रभावित होता है, तो न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, बल्कि भारत के चालू खाते पर भी प्रभाव पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तुषार कुमार के अनुसार, भले ही कुछ समूहों को छूट मिले, लेकिन टैक्स का डर और अनुपालन की जटिलताएं बहुत से लोगों को अनौपचारिक चैनलों की ओर मोड़ सकती हैं।
प्रवासन पर सख्ती और भारत-अमेरिका संबंध
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के साथ अमेरिका में फिर से कड़ा आव्रजन नियंत्रण देखने को मिल रहा है। अमेरिका ने हाल ही में उन भारतीय ट्रैवल एजेंसियों के अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए हैं जो अवैध प्रवासन में शामिल हैं। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन के दौरान ग्रीन कार्ड और वीज़ा प्रोसेसिंग में भी देरी देखी गई थी।
ट्रंप की आर्थिक नीति भारत के लिए अवसर और संकट दोनों ला सकती है। एक ओर जहां अमेरिका भारत में निवेश बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर नीतिगत कड़े रुख भारत को आर्थिक झटका दे सकते हैं।