
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के संबंध में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति को महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्धविराम में भूमिका निभाने के दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत के बाद हुआ था, न कि किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से।
ट्रंप के दावे का खंडन
मिस्री ने समिति को बताया कि ट्रंप ने केवल सोशल मीडिया पर युद्धविराम को लेकर दावे किए, किसी आधिकारिक माध्यम से नहीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ट्रंप ने बाद में “मध्यस्थता” को “मदद” कहकर स्वर बदल दिया, और भारत ने इसे औपचारिक रूप से खंडन नहीं किया क्योंकि कोई आधिकारिक दावा ही नहीं आया था।
पाकिस्तान ने पहले की थी पहल
विदेश सचिव के अनुसार, पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने 10 मई की सुबह 9:15 बजे पहली बार संपर्क करने की कोशिश की थी। उस समय भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई अन्य अधिकारियों के साथ रणनीतिक बैठक में थे। बाद में, दोपहर 1:15 बजे दोनों अधिकारियों के बीच पहली बातचीत हुई और शाम 3:30 बजे औपचारिक वार्ता के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी।
ऑपरेशन सिंदूर: बिना परमाणु संकेतों के पारंपरिक संघर्ष
मिस्री ने यह स्पष्ट किया कि पूरा संघर्ष पारंपरिक सैन्य दायरे में रहा और पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार की परमाणु धमकी या संकेत नहीं दिया गया — जो मीडिया में फैलाए गए कुछ दावों का प्रतिवाद करता है। उन्होंने कहा, “हमने पाकिस्तान के नौ एयरबेस तबाह किए। वे कौन से हथियार इस्तेमाल कर रहे थे, यह मुद्दा नहीं है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की स्थिति
जब समिति के कुछ सदस्यों ने पूछा कि तुर्किये और अज़रबैजान जैसे देश पाकिस्तान के साथ क्यों खड़े दिखे, मिस्री ने कहा कि भारत और तुर्किये के संबंध ऐतिहासिक रूप से कभी मजबूत नहीं रहे हैं और फिलहाल उसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने की बात को भी खारिज किया।
ट्रंप को केंद्र में क्यों आने दिया?
कई सांसदों ने यह सवाल उठाया कि भारत सरकार ने ट्रंप के दावे का स्पष्ट रूप से खंडन क्यों नहीं किया, जिससे उन्हें वैश्विक मंच पर ‘मध्यस्थ’ दिखने का मौका मिला। मिस्री ने जवाब दिया कि भारत किसी अनाधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट का जवाब नहीं देता, खासकर जब कोई औपचारिक माध्यम नहीं अपनाया गया हो।
राहुल गांधी और विपक्ष की पूछताछ
बैठक में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और अभिषेक बनर्जी ने यह जानना चाहा कि कितने भारतीय विमान गिराए गए, लेकिन मिस्री ने कहा कि यह सवाल रक्षा मंत्रालय से जुड़ा है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने तुर्किये से रिश्तों में सुधार का सुझाव दिया, जिसे मिस्री ने व्यावहारिक नहीं बताया।
व्यक्तिगत हमलों पर समर्थन
बैठक में एक भावनात्मक क्षण तब आया जब सांसदों ने मिस्री और उनके परिवार, खासकर उनकी बेटी वकील डिडोन मिस्री पर सोशल मीडिया हमलों की निंदा की और उनके समर्थन में प्रस्ताव लाने की इच्छा जताई। हालांकि, मिस्री ने ऐसा कोई प्रस्ताव लाने से मना किया। अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा, “समिति ने सर्वसम्मति से उनके कार्यों की सराहना की।”