
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच शनिवार को हुई ‘द्विपक्षीय समझौते’ की घोषणा के बाद, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ऑनलाइन ट्रोलिंग का शिकार हो गए। यह हमला केवल उनकी पेशेवर भूमिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनकी बेटियों तक को निशाना बनाया गया। इस घटना के बाद राजनयिक समुदाय और कई राजनीतिक नेताओं ने एक सुर में मिस्री के पक्ष में आवाज़ बुलंद की है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रेस ब्रीफिंग का नेतृत्व करने वाले विक्रम मिस्री को उस वक्त सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया जब उन्होंने भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच ‘तुरंत प्रभाव से सभी सैन्य गतिविधियों को रोकने’ पर सहमति की जानकारी दी। मिस्री के इस बयान के बाद कुछ यूज़र्स ने उन्हें “देशद्रोही” और “गद्दार” जैसे शब्दों से संबोधित किया, और यहां तक कि उनकी बेटियों की नागरिकता पर भी सवाल उठाए।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के विरोध में पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने इसे “शर्मनाक और अमानवीय” बताते हुए कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “एक समर्पित और पेशेवर अधिकारी पर इस तरह के हमले सभ्यता की सभी सीमाएं पार कर चुके हैं।”
इसी तरह, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “नीति निर्धारण सरकार का कार्य है, किसी एक अधिकारी का नहीं। ऐसे में किसी अधिकारी को इस तरह से निशाना बनाना निंदनीय है।” यादव ने बीजेपी सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और जांच एजेंसियों से अपील की कि वे इस साइबर हमले के पीछे की ताकतों की जांच करें।
वहीं, IAS एसोसिएशन ने भी मिस्री के साथ एकजुटता दिखाई और एक आधिकारिक बयान में कहा, “निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे सिविल सेवकों पर इस प्रकार के निजी हमले अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हम सार्वजनिक सेवा की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर देश भर में सरकार की सराहना हो रही थी, लेकिन सीजफायर की घोषणा के बाद ऑनलाइन प्रतिक्रिया अप्रत्याशित रूप से विषाक्त हो गई। बाद में, मिस्री ने पाकिस्तान की ओर से हुई संधि उल्लंघन को लेकर कहा कि भारत इसे “बेहद गंभीरता से” लेता है।
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत हमले का मामला है, बल्कि यह भारत के राजनयिकों और सिविल सेवा अधिकारियों की सुरक्षा और गरिमा पर भी सवाल खड़ा करती है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि समाज, सरकार और प्लेटफॉर्म्स मिलकर इस तरह की नफरत और ट्रोलिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाएं।